ईटीएफ यानी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (Exchange Traded Fund) एक ऐसा फंड होता है जो स्टॉक मार्केट एक्सचेंज पर ट्रेड करता है।
जहाँ कुछ सालों पहले तक ETF विदेशी निवेशकों और HNI तक ही सीमित था वहीँ आजकल काफी नए और पुराने निवेशक भी इस इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट में रुचि दिखा रहे हैं |
आज के इस लेख में हम बात करेंगे कि ईटीएफ क्या होता है, कैसे काम करता है और जानेंगे वह सब कुछ जो आपको इसमें निवेश करने के लिए सहायता करेगा।
यह एक पूरी डिटेल गाइड होगी और इसमें वह सब कुछ होगा जो आपको ETF के बारे में जानकारी प्रदान करेगा |
इसके अलावा इसमें आप लोगों के विभिन्न प्रश्न भी होंगे जो आपने समय-समय पर मुझसे पूछे थे।
ईटीएफ क्या होता है। What is ETF in Hindi (Meaning & Full Form)
ETF का Full form Exchange Traded Fund और इसका hindi meaning है विनिमय व्यापार फंड |
यह काफी कुछ म्यूचुअल फंड के जैसे ही काम करते हैं |
जैसे आपने देखा होगा कि म्यूचुअल फंड में एक कलेक्टिव यानी की सामूहिक निवेश होता है यानी उसमें काफी सारे लोग मिलकर के इन्वेस्ट करते हैं |
इसके अलावा उसमें एक फंड हाउस होता है जो उस पूरे अमाउंट को मैनेज करता है।
जब आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो उस दिन की एनएवी (NAV) के आधार पर आपको यूनिट्स अलॉट हो जाती हैं।
अब आप सोचेंगे कि यह लेख तो exchange traded funds के बारे में है पर हम लोग म्युचुअल फंड के बारे में क्यों बात कर रहे हैं ।
तो इसका उत्तर आपको अभी मिल जाएगा।
देखिए म्यूच्यूअल फंड्स स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड नहीं होता है लेकिन अगर मैं कहूं कि अगर म्यूच्यूअल फंड्स की यूनिट भी किसी स्टॉक एक्सचेंज पर कंपनियों के शेयर की तरह ट्रेड होने लगे तो।
यहीं पर एक ETF, Mutual Fund से अलग हो जाता है क्योंकि वह काफी कुछ म्यूचुअल फंड के समान तो होता है पर उसकी जो यूनिट्स होती हैं वह स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड करती हैं।
इसका मतलब यह है कि अगर आपको exchange traded funds में इन्वेस्ट करना है तब आपके पास एक डीमैट अकाउंट होना चाहिए और तभी आप उसको एक आम शेयर के जैसे खरीद और बेच सकते हैं।
इटीएफ का इतिहास | ETF History in India
भारत में सबसे पहला ईटीएफ निफ़्टी बीस (Nifty BEES) को माना जाता है जो Nifty50 को ट्रैक करता है और इसे सन 2000 में स्टार्ट किया गया था।
वैसे देखा जाए तो आज की तारीख में भी ऐसे बहुत ही कम निवेशक हैं जो ईटीएफ में निवेश करते हैं।
आपको यह भी जानकारी होनी चाहिए कि ईपीएफओ (EPFO) यानी एम्पलाइज प्रोविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन का एक बहुत बड़ा निवेश एसबीआई निफ़्टी फिफ्टी ईटीफ़ में है।
नए निवेशकों को अधिक जानकारी ना होने की वजह से इटीएफ में अधिक ट्रेडिंग नहीं होती है इसके लिए अब देखेंगे कि इसमें ट्रेडिंग वॉल्यूम बहुत ही कम रहता है |
पर जैसे-जैसे ईटीऍफ़ के बारे में जानकारी आम लोगों तक पहुंच रही है वैसे-वैसे इसका चलन भी बढ़ता जा रहा है।
ईटीएफ कैसे काम करता है। How ETF Work?
यह जानने के लिए फिर से एक बार हम mutual fund का रुख करते हैं
जैसे कि आपको किसी म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करना है तो इसके लिए वह MF AMC आपसे पैसे लेती है |
फिर वह कुछ सिलेक्टेड स्टॉक्स में निवेश करते हैं और इसके लिए वह डेली बेसिस पर उस फंड का NAV यानी नेट ऐसेट वैल्यू (net asset value) को डिक्लेअर करती है ।
इसी तरह से जब आप किसी म्यूच्यूअल फंड को बेचना चाहते हैं तो आप एक रिडेंपशन रिक्वेस्ट डालते हैं और वह म्युचुअल फंड कंपनी उस दिन के एनएवी पर आपके फंड को बेच देती है ।
आपने क्या समझा !!
देखिए, म्यूचुअल फंड के लिए हमेशा जब भी आप कोई रिक्वेस्ट डालते हैं या तो खरीदने के लिए या फिर बेचने के लिए तो आपको एक बिचौलिया यानी की AMC (Asset Management Company) का सहारा लेना पड़ता है |
पर अगर आप exchange traded funds को खरीदते या बेचते हैं तो आपका AMC से कोई भी कांटेक्ट नहीं होता है|
इसका मतलब है कि अगर आप किसी ईटीएफ को खरीदना चाहते हैं या फिर बेचना चाहते हैं तो सीधे स्टॉक एक्सचेंज पर जाएं और उसे खरीदे या फिर बेचें, एक आम शेयर के जैसे ।
जहां एक और किसी म्यूच्यूअल फंड को खरीदने या बेचने के लिए एनएवी का उपयोग किया जाता है जो हमेशा दिन के अंत में ही जारी किया जाता है उस तरह से ईटीऍफ़ का एनएवी काम नहीं करता।
ऐसा इसलिए है क्योंकि ई.टी.एफ. बाजार में ट्रेड करता है और उसे बाजार भाव पर तुरंत खरीदा या बेचा जा सकता है |
इसलिए उसमें नेट ऐसेट वैल्यू यानी एनएवी का उपयोग ना करके इंडिकेटिव एनएवी (iNAV) यानी इंडिकेटिव नेट ऐसेट वैल्यू का उपयोग किया जाता है जिसे ईटीएफ कंपनियां हर 10 या 15 सेकंड पर अपडेट करती रहती हैं।
इंडिकेटिव नेट ऐसेट वैल्यू कैसे कैलकुलेट किया जाता है। What is iNAV of ETF?
iNAV को कैलकुलेट करने का फार्मूला है:-
ईटीएफ की बास्केट में शामिल सभी शेयरों की अंतिम कीमत * (शेयरों की कुल संख्या + वह बची हुई रकम जिसे निवेश नहीं किया गया है)/ ईटीऍफ़ के बास्केट में शामिल कुल शेयरों की संख्या
तो यह इंडिकेटिव NAV ही है जिससे यह पता चलता है कि किसी ट्रांजैक्शन के टाइम पर ETF का एक्चुअल भाव कितना है।
वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि ईटीएफ के यूनिट को डीमैट अकाउंट के अलावा AMC से सीधा भी खरीदा जा सकता है |
इसमें परेशानी यह है कि इसका लॉट साइज़ काफी अधिक होता है और आपको हमेशा एक फिक्स लॉट साइज में ही खरीदना होगा|
यानी अगर आप इसमें कम पैसे इन्वेस्ट करना चाहते हैं तो फिर यह संभव नहीं है।
जैसे मान लें आपको आईसीआईसीआई निफ़्टी फिफ्टी ईटीएफ का यूनिट्स खरीदना है तो उसका लॉट साइज 50000 यूनिट का है जिसकी कीमत काफी ज्यादा होगी।
इसका मतलब है कि अगर आपको आईसीआईसीआई से इसी ईटीएफ के यूनिट खरीदने हैं तो आपको एक साथ 50 हजार यूनिट खरीदने होंगे |
अब उस यूनिट को आप उस दिन की iNAV से गुणा करेंगे तो पाएंगे कि यह अमाउंट काफी ज्यादा होता है |
यह ध्यान दें कि खरीदने के अलावा आपको रिडीम करने के लिए भी यही करना होगा।
ईटीएफ में ट्रैकिंग एरर क्या होता है | What is Tracking Error in Exchange Traded Fund?
ट्रैकिंग एरर किसी फंड या ईटीएफ और उसके बेंचमार्क इंडेक्स के रिटर्न के बीच के अंतर को बताता है।
अगर आप किसी इंडेक्स म्युचुअल फंड या फिर ETF में इन्वेस्ट करने जा रहे हैं तब आपको tracking error के बारे में जानना बहुत ही जरूरी है।
Exchange traded funds को एक पैसिव फंड माना जा सकता है यानी जो भी फंड मैनेजर होते हैं उनका यह लक्ष्य नहीं होता है कि वह index को बीट करके अधिक से अधिक रिटर्न निकाले |
Passive Funds जैसे ETF अक्सर किसी बेंचमार्क इंडेक्स को ही ट्रैक करते हैं इसलिए यह अक्सर बेंचमार्क इंडेक्स की परफॉर्मेंस और रिटर्न्स को ही मैच करते है |
कई बार बेंचमार्क के रिटर्न और exchange traded funds के रिटर्न के बीच थोड़ा अंतर आ जाता है जिसे ट्रैकिंग एरर कहा जाता है।
Mutual funds में Tracking Error आता है :-
- ईटीएफ में इन्वेस्टमेंट बढ़ने के कारण
- एक्सपेंस रेश्यो कांस्टेंट रखने के कारण
- स्टॉक्स में जो भी डिविडेंड्स मिलते हैं उन्हें रीइन्वेस्ट करने के कारण
कई फंड्स में या ETF में यह ट्रैकिंग एरर काफी अधिक भी हो सकता है जिसमें इन्वेस्ट करने से पहले आपको इस बात का ध्यान देना होगा।
अब उदहारण के तौर पर देखें तो अगर निफ़्टी फिफ्टी इंडेक्स ने 10% का रिटर्न दिया है और ईटीएफ ने 9.5% का ही रिटर्न दिया है तो यहां पर ट्रैकिंग एरर हुआ 0.5% ।
आमतौर पर होता क्या है कि जो भी ईटीएफ या इंडेक्स फंड्स होते हैं उनमें एक्सपेंस रेश्यो भी होता है जो कि किसी इंडेक्स में नहीं होता |
तो जब भी यह expense ratio को कुल returns में से घटाया जाता है तब उससे थोड़ा बहुत ट्रैकिंग एरर आ जाता है।
ईटीएफ के प्रकार | Types of ETF in India
एक प्रश्न जो अक्सर मुझसे पूछा जाता है कि इंडिया में जो भी exchange traded funds हैं वह केवल इक्विटीज में ही इन्वेस्ट करते हैं क्या?
तो आइए जानते हैं कि हाल-फिलहाल में इंडिया में कितने तरह के ETF काम करते हैं।
1. इक्विटी ईटीऍफ़ | Equity ETF
इक्विटी ईटीएफ सीधे सीधे किसी इंडेक्स को ट्रैक करते हैं जैसे कि Nifty50, निफ़्टी नेक्स्ट 50 या फिर सेंसेक्स।
इक्विटी ईटीएफ में भी एक दूसरे प्रकार का exchange traded fundsहोता है जो इंडेक्स को ट्रैक करने के अलावा भी किसी स्टॉक के वैल्यू, क्वालिटी, वोलैटिलिटी या फिर मोमेंटम को ट्रैक करता है और इसको स्मार्ट बीटा ईटीएफ कहते हैं।
जैसे मोतीलाल ओसवाल निफ़्टी 200 मूवमेंट M30 ईटीएफ या Nippon इंडिया ईटीएफ NV20।
2. डेट ईटीएफ | Debt ETF
इसमें भारत बॉन्ड ईटीएफ या फिर जी सेक ईटीएफ जैसे ऑप्शंस हैं जो अक्सर किसी पीएसयू के बॉन्ड्स में ही इन्वेस्ट करते हैं।
3. कमोडिटी ई.टी.एफ. | Commodity ETF
कमोडिटी का मतलब होता है कोई वस्तु जो बहुत उपयोगी हो जैसे सोना , चांदी इत्यादि |
काफी समय से इस केटेगरी में गोल्ड ईटीएफ का बोलबाला रहा है पर अभी कुछ समय से सिल्वर ईटीएफ भी लॉन्च हो गया है जिसे निप्पॉन ने लॉन्च किया है।
क्या भारतीय ईटीएफ डिविडेंड भी देते हैं। Did Exchange traded Fund Give Dividend?
अभी कुछ दिन पहले मुझे किसी निवेशक ने पूछा कि जिस ईटीएफ में मैं इनवेस्ट करता हूं उसने कुछ शेयरों को खरीदा होगा और जाहिर सी बात है कि वह शेयर डिविडेंड्स भी देते होंगे समय-समय पर तो आखिर यह डिविडेंड हमें क्यों नहीं मिलता है?
देखिए, यह सही है की अधिकतर भारतीय ईटीएफ कंपनियां जो इक्विटी बेस्ट हैं वह डिविडेंड नहीं देती हैं |
ऐसा इसलिए हैं क्योंकि वह डिविडेंड से मिले हुए पैसों को अपने फंड में ही reinvest कर देती हैं जिससे उनका NAV थोड़ा बढ़ जाता है।
अब आप पूछेंगे कि क्या ऐसा कोई भी exchange traded funds नहीं है जो हमें रेगुलर डिविडेंड्स देता हो?
तो इसका जवाब है जी हां ऐसे थोड़े बहुत ईटीएफ हैं जो डिविडेंड्स देते हैं जिनमें एक प्रमुख नाम आता है निप्पोन इंडिया ईटीएफ डिविडेंड अपॉर्चुनिटी।
क्या सारे एक्सचेंज ट्रेडेड फण्ड केवल पैसिव होते हैं | Are ETFs Passive?
भारत की बात करें तो यहां पर 80 से 90% जो भी ईटीएफ हैं वह पैसिव हैं और वह किसी इंडेक्स को ही ट्रैक करते हैं |
लेकिन हमने ईटीएफ के प्रकार में बात किया था स्मार्ट बीटा का, जो किसी मोमेंटम या फिर वैल्यू को ट्रैक करते हैं और ऐसे ETF पूरी तरह पैसिव नहीं हैं बल्कि हाइब्रिड प्रकार के होते हैं।
हां अगर आपको पूरी तरह से exchange traded funds चाहिए तो हो सकता है आपको थोड़ा इंतजार करना पड़े क्योंकि अभी इंडिया में इस प्रकार के ईटीएफ लांच नहीं हुए हैं।
ईटीफ़ में कैसे निवेश करें | How to Invest in ETF?
किसी एक्सचेंज ट्रेडेड फण्ड में निवेश करने के लिए आप के पास एक डीमैट अकाउंट होना चाहिए |
अब आइए जानते हैं कि कैसे आप अपने डीमैट अकाउंट से किसी भी exchange traded funds में कैसे इन्वेस्ट कर सकते हैं।
आप ऊपर देख सकते हैं यह मेरा आईसीआईसीआई डायरेक्ट ट्रेडिंग अकाउंट का स्क्रीनशॉट है
जैसे आप आम शेयर को खरीदते हैं वैसे ही इक्विटी बाई ऑप्शन पर जा कर के आप किसी भी exchange traded funds को buy कर सकते हैं |
उस समय एनएसई या बीएसई पर जो भी प्राइस होगी उसी पर वह आपको एलॉट हो जाएगी।
तो कुल मिलाकर के आपको अगर ईटीफ़ में इन्वेस्ट करना ही है तब आपको एक डीमैट अकाउंट तो खुलवाना ही पड़ेगा।
ई.टी.एफ में निवेश से पहले किन बातों पर ध्यान दें | Things to Check Before ETF Investing
आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि मैं पिछले 5 सालों से ईटीएफ में इन्वेस्ट कर रहा हूं |
मैंने इंडियन इंडेक्स के अलावा भी यूएस इंडेक्स में जैसे नैस्डेक 100 इंडेक्स में ईटीएफ के माध्यम से इन्वेस्ट किया है |
इसके अलावा मैं कमोडिटी ईटीएफ जैसे Gold ETF में भी इन्वेस्ट करता हूं।
तो ईटीएफ में इन्वेस्ट करने से पहले कुछ ऐसी जरूरी बातें मुझे पता चली जिसके बारे में आपको जानना बहुत ही आवश्यक है।
1. कभी मार्केट आर्डर न डालें | Don’t Put Market Orders
जब भी आप किसी ETF को खरीदें या फिर बेचे तब मार्केट आर्डर कभी ना डालें, हमेशा लिमिट ऑर्डर ही डालें।
अब आप पूछेंगे कि मैं ऐसा क्यों कह रहा हूं तो इसका कारण यह है कि कुछ मशहूर exchange traded funds को छोड़ दें तो बहुत सारे ईटीएफ का ट्रेडिंग वॉल्यूम बहुत ही कम होता है ।
इसी कारण से हो सकता है कि अगर आप मार्केट ऑर्डर लगाते हैं तो वह बाजार भाव से काफी ऊपर या फिर काफी नीचे ट्रेड हो जाए।
उदाहरण के लिए आप एक्सेस बैंकिंग ईटीएफ का यह स्क्रीनशॉट देखें जो 336 पर ट्रेड कर रहा है।
अब यहां इसका ट्रेडिंग वॉल्यूम देखें जो बहुत ही कम है यानी कि केवल 92।
अब मान लें कि आपने एक्सिस बैंकिंग ईटीएफ को खरीदने के लिए मार्केट आर्डर लगा दिया |
आपने सोचा कि 336 के आसपास यह आपको मिल जाएगा और आप ने लगभग 2500 क्वांटिटी buy order में डाला।
अब होगा क्या कि आपका कुछ आर्डर 336.4 में एग्जीक्यूट हो जाएगा पर बाकी का आर्डर जो रहेगा वह ऑटोमेटेकली 338 पर ही होगा |
अगर आप की क्वांटिटी अधिक है तो हो सकता है कि उससे भी अधिक प्राइस पर आर्डर एग्जीक्यूट हो।
ठीक यही परेशानी आपको किसी ईटीएफ को सेल करने के दौरान भी हो सकती हैं तो इसलिए आप इस बात का खास ख्याल रखें।
2. एनएवी को इंडेक्स से भी मिलाएं | Compare NAV with Index
निवेश से पहले आप ETF के nav की तुलना उसके इंडेक्स और करंट चार्ट से भी करें ।
मैंने आपको पहले ट्रैकिंग एरर के बारे में बताया था तो कई बार ऐसा होता है कि डिविडेंड रिइन्वेस्टमेंट के टाइम पर ट्रैकिंग एरर बढ़ जाता है |
यह एरर एएमसी की वेबसाइट पर कई बार रिफ्लेक्ट नहीं हो पाता है तो उससे दाम में अंतर आ जाता है।
तो इसके लिए आप करें क्या कि जब भी भी आपको किसी इटीएफ को खरीदना है तो आप AMC की वेबसाइट पर दिए गए NAV को अपने डिमैट अकाउंट पर दिए गए NSE या फिर BSE के Buy Sell प्राइस ऑर्डर से भी मिला लें ।
फिर आप उस ईटीफ़ के चार्ट को देखें और यह पता करें की लाइव में प्राइस अपडेट हो रहा है कि नहीं।
अगर आपको लगता है कि AMC की वेबसाइट की एनएवी है और करंट मार्केट प्राइस में काफी डिफरेंस है तो एक बार आप AMC से जरूर संपर्क करें।
3. ट्रेडिंग वॉल्यूम जांचें | Check Trading Volume
तीसरा पॉइंट आपको ध्यान देना है कि जब भी आप किसी ईटीएफ को खरीदने जाते हैं तो ट्रेडिंग वॉल्यूम जरूर चेक कर लें |
आपको हमेशा इस प्रकार का ईटीएफ लेना चाहिए जिसमें लगातार कुछ न कुछ ट्रेडिंग हो रही हो |
अगर मान लें आपने किसी ऐसे ETF को ले लिया जिसमें बहुत कम ट्रेडिंग हो रही है तो आप उस ईटीएफ को बेच ही नहीं पाएंगे |
ऐसा इसलिए क्योंकि आपको कभी अपनी पोजीशन को काटनी है तब अगर आप सेल आर्डर डालेंगे तो कम वॉल्यूम के कारण कोई खरीदने वाला नहीं होगा ।
जैसा हमने अपना पिछला उदाहरण लिया था एक्सिस बैंक ETF का, हालांकि उसका ट्रेडिंग वॉल्यूम 94 है फिर भी कुछ ना कुछ तो ट्रेड हो रहा है |
पर मैंने ऐसे ही etf भी देखे हैं जिसमें दिन भर में एक या दो ट्रेड ही होते हैं तो आपको इस प्रकार के ईटीएफ में निवेश नहीं करना चाहिए।
4. बाजार खुलते ही ट्रेड न लें | Don’t Trade during Opening Market Hours
अगर आपको किसी भी ईटीएफ में निवेश करना है या फिर ट्रेड करना है तो आप बाजार खुलने के शुरुआती 1 घंटे तक कुछ भी ना करें ।
अब ऐसा इसलिए है क्योंकि अधिकतर ई.टी.एफ में ट्रेडिंग वॉल्यूम बहुत कम होता है और कई बार उसमें लिमिट ऑर्डर्स लगे होते हैं |
इस हिसाब से शुरुआती 1 घंटे में उनमें बहुत उतार-चढ़ाव होता है और प्राइस भी काफी ज्यादा ऊपर नीचे करता है।
तो अगर आपको एक स्थिर कीमत पर किसी etf को लेना है तो आप बाजार के शुरुआती घंटों को छोड़ दें उसके बाद ही लिमिट ऑर्डर डालकर उसको बाई या फिर सेंल करें l
5. एसआईपी से निवेश पर ध्यान रखें | Do this for SIP Mode
किसी ETF में आप एसआईपी मोड से इन्वेस्ट तो करें पर ध्यान से।
किसी भी स्टॉक या म्यूचुअल फंड या ई.टी.एफ में एसआईपी के माध्यम से निवेश करना काफी अच्छा होता है।
पर यहां मैंने ध्यान से क्यों कहा देखिए इसका कारण यह है कि अगर आप एसआईपी मोड से इन्वेस्ट करेंगे और उसे ऑटोमेटिक एसआईपी मोड पर डाल देंगे |
जैसा मैंने अपने पहले पॉइंट में बताया था कि हमेशा एसआईपी, मार्केट ऑर्डर पर एग्जीक्यूट हो जाएगी तो हो सकता है कि उस कारण से आपको अधिक प्राइस देना पड़े|
इससे बचने के लिए आप एसआईपी मोड से इन्वेस्ट तो करें पर एक खास समय अंतराल पर अपने हिसाब से लिमिट आर्डर डालकर थोड़ा थोड़ा इन्वेस्ट करें।
6. ट्रैकिंग एरर पर ध्यान दें | Always Consider Tracking Error
किसी भी ई.टी.एफ में इन्वेस्ट करने से पहले उसके ट्रैकिंग एरर का खासा ख्याल रखें
ETF के कारोबार में काफी सारी कंपनियां आजकल बाजार में है पर क्या आप किसी भी कंपनी के ETF में ऐसे ही इन्वेस्ट कर सकते हैं।
तो इसका उत्तर है नहीं !
अगर अब थोड़ा रिसर्च करेंगे तो यह पाएंगे कि अधिकतर वॉल्यूम आपको निप्पॉन, आईसीआईसीआई और एसबीआई के ईटीएफ में मिलेगा और इसीलिए इन सब पर निवेशकों का ट्रस्ट भी है|
तो ऐसा नहीं है कि जो कुछ नए AMC आ रहे हैं जैसे कि एडलवाइज या मोतीलाल ओसवाल उसमें भी काफी अच्छा वॉल्यूम रहता है और उसमें भी ट्रैकिंग अगर काफी कम से कम रहता है।
पर आप देखेंगे कि कुछ अन्य कंपनियां जैसे कि आदित्य बिरला, आईडीबीआई, एलआईसी या फिर एक्सिस जैसी कुछ कंपनियां है जिसमें वॉल्यूम थोड़ा कम रहता है और ट्रैकिंग एरर काफी अधिक रखता है|
इसके लिए यह जरूरी है कि अगर आप इन सब ETF में invest करने वाले हैं तो पहले जरूरी जानकारी जुटा लें।