म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट के दौरान न करें ये 15 गलतियाँ !

ये सही है कि म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट कर के काफी कम समय में अपने वित्तीय लक्ष्यों (financial goals) को पूरा किया जा सकता है |

पर कुछ नए निवेशक ऐसे भी हैं जो म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश के दौरान ऐसी गलतियाँ करते हैं जिनके कारण उन्हें काफी नुक्सान होता है |

आज के इस लेख में हम बात करने वाले वाले है ऐसी ही 15 गलतियों की जिन्हें नए निवेशक mutual fund investment के दौरान करते हैं और इनमें से काफी गलतियाँ मैंने भी अपने शुरूआती दौर में की थी |

आप ये गलतियाँ न करें इसलिए इस लेख को पूरा पढ़ें और हमें कमेंट कर के जरूर बताएं |

म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट के दौरान न करें ये 15 गलतियाँ  | Avoid 15 Mistakes During Mutual Fund Investment

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आइये जानते हैं उन गलतियों के बारे में जिन्हें आम और नए निवेशक म्यूचुअल फंड में निवेश के दौरान करते हैं |

Table of Contents

1. म्यूच्यूअल फंड इन्वेस्टमेंट से पहले अपना वित्तीय लक्ष्य प्लान न करना

जी हाँ, बिना किसी गोल, लक्ष्य या ऑब्जेक्टिव के निवेश करना अँधेरे में तीर मारने के सामान ही है जिसके टारगेट मिस करने की संभावना अधिक ही होती है |

आप सबसे पहले अपने फाइनेंसियल गोल बनाये चाहे वह कोई शार्ट टर्म गोल हो जैसे तीन साल में गाड़ी खरीदना या फिर लॉन्ग टर्म जैसे तीस साल बाद रिटायरमेंट या कोई और |

Goal planning के बाद ही बाद म्यूच्यूअल फंड का चुनाव करें और अपने गोल को उससे जोड़ दें |

अपना लक्ष्य निर्धारित करने का फायदा यह है कि इससे समय और कुल पैसे की जरूरत के बारे में पता चल जाता है और उसी हिसाब से म्यूचुअल फंड चुना जा सकता है |

गोल प्लानिंग के ऊपर आप हमारा यह लेख देख सकते हैं – फाइनेंसियल गोल प्लानिंग कैसे करें?

2. डायरेक्ट म्यूचुअल फंड स्कीम में इन्वेस्टमेंट न करना

म्यूचल फण्ड इन्वेस्टमेंट भी दो प्रकार के होते हैं डायरेक्ट यानि सीधा AMC से निवेश और दूसरा रेगुलर यानि किसी ब्रोकर या अपने बैंक से निवेश |

अधिकतर नए निवेशक यह सोचते हैं कि जब सेविंग, FD, PPF इत्यादि बैंक से होते हैं तो म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट भी बैंक से ही होता होगा इसलिए वह लोग अक्सर अपने बैंक से ही निवेश करने का सोचते हैं जो कि सही नहीं है |

मैं ऐसा क्यों कह रहा हूँ उसके लिए आपको डायरेक्ट और रेगुलर म्यूच्यूअल फंड के बीच के अंतर को समझना होगा जिसके ऊपर मैंने एक डिटेल्ड वीडियो बनायीं है जिसका आप देख सकते हैं यहाँ से |

कुल मिलाकर यह समझें कि किसी बैंक या ब्रोकर से निवेश करने पर वह लोग सबसे पहले तो अपना ही प्लान पकड़ा देते हैं, उनको इस बात से मतलब नहीं कि वह प्लान कैसा परफॉर्म कर रहा है |

दूसरा, इस प्रकार का इन्वेस्टमेंट रेगुलर प्लान के तहत आता है जिसके चार्जेज डायरेक्ट प्लान से अधिक होते हैं और यही से बनता है हमारा तीसरा पॉइंट.

3. म्यूच्यूअल फंड के एक्सपेंस रेश्यो और एग्जिट लोड पर ध्यान न देना

सबसे पहले तो यह जानें कि expense ratio वह चार्जेज होते हैं जो म्यूच्यूअल फंड कंपनिया अपना फंड मैनेज करने के लिए हम निवेशकों से वसूलती है |

वहीँ exit load वह चार्ज होता है जब आप किसी म्यूच्यूअल फंड को उनके तय समय से पहले बेचते हैं |

अगर आप म्यूचुअल फंड का चुनाव कर रहे हैं तब उसके रिटर्न के अलावा यह भी देखें कि उस फंड का एक्सपेंस रेश्यो कम हो जिससे लम्बे समय में आपको अधिक फायदा मिले |

वहीँ आपको एग्जिट लोड के लिए समय और चार्जेज पर भी ध्यान देना आवश्यक है |

4. म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट के लिए गलत केटेगरी का चुनाव

यह बहुत आम गलती है जो नए ही नहीं बल्कि अधिकतर निवेशक करते हैं |

बाजार में ढेरों केटेगरी यानि प्रकार के म्यूच्यूअल फंड्स हैं जो अलग अलग परकार के इन्वेस्टमेंट ऑब्जेक्टिव यानि उद्देश्य के लिए बने हैं |

इसलिए मैंने सबसे पहले कहा कि अपना गोल यानि वित्तीय लक्ष्य जरूर प्लान करें |

जैसे शोर्ट टर्म यानि 3-5 साल के financial goal  के लिए conservative hybrid या debt fund में निवेश करना बेहतर है क्योंकि कम समय में अपना मूल धन बचाना भी जरूरी होता है |

वहीँ लम्बे समय जैसे 15 साल से ऊपर प्योर equity fund जैसे लार्ज कैप, फ्लेक्सी कैप या मिड कैप में निवेश किया जा सकता है |

नए निवेशक जहाँ तक तक हो सके तब FOF (Fund of Funds) या Thematic Funds में निवेश करने से बचे क्योंकि FOF रिटर्न के मामले में थोडा पीछे रहते हैं और थीमेटिक फण्ड में बहुत खतरा और उतार चढ़ाव होता है |

कई लोग समझते हैं कि उन्होंने डेट फंड में निवेश कर दिया तब उसनका पैसा बिलकुल सुरक्षित है पर ऐसा नहीं है क्योंकि डेट में भी ढेरों केटेगरी हैं और अपने गोल के हिसाब से ही निवेश करना बेहतर है |

5. डिविडेंड के लालच में ग्रोथ की बजाय डिविडेंड प्लान का चुनाव

ये गलती मैंने भी अपने शुरूआती दौर में की थी और म्यूच्यूअल फंड में अक्सर डिविडेंड पाने ले लालच में ग्रोथ की बजाय डिविडेंड प्लान का चुनाव करता था |

डिविडेंड वाले म्यूचल फण्ड इन्वेस्टमेंट प्लान अधिक बढ़ते नहीं हैं क्योंकि वह समय समय पर डिविडेंड देते रहते हैं जिससे उनकी NAV डाउन होती रहती है |

बीच बीच में मिले हुए डिविडेंड के पैसे कोई काम नहीं आते और इनका कुल रिटर्न कम हो जाता है क्योंकि इनमें पूरी तरह कोम्पौन्डिंग (चक्रवृद्धि ब्याज) का फायदा नहीं मिल पाता है |

इसलिए हमेशा डिविडेंड रीइन्वेस्टमेंट प्लान या ग्रोथ प्लान चुने अगर आपको लम्बे समय में अधिक फायदा चाहिए|

6. म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट के दौरान बाजार को टाइम करना

बाजार को टाइम करना मतलब यह सोचना कि जब बाजार सबसे नीचे होगा तभी म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट शुरू करना है और जब सबसे ऊपर होगा तभी बेचना है |

देखिये बाजार कल को ऊपर जायेगा या नीचे यह बताना मुश्किल है इसलिए म्यूच्यूअल फण्ड निवेश के लिए बाजार को टाइम करना छोड़ दें |

कई लोग बाजार नीचे जाने पर अपना म्यूचुअल फंड SIP बंद या पॉज कर देते हैं जबकि उसी समय आपको और निवेश करने की जरूरत होती है |

जैसे कोरोना के समय मेरा कुछ म्यूच्यूअल फण्ड 25-30% तक नेगेटिव रिटर्न दे रहे थे पर मैंने वह बंद नहीं किया बल्कि एसआईपी जारी रखा बाद में उन्होंने ही काफी बढ़िया रिटर्न दिये |

म्यूचुअल फंड में निवेश का नजरिया हमेशा लम्बा होना चाहिए और हर रोज उठकर उसका NAV देखने से केवल आप टेंशन में रहेंगे बस कुछ और नहीं |

इसलिए अपने गोल पर फोकस करें और पैसे को बढ़ने के लिए पर्याप्त समय दें |

7. अपने पोर्टफोलियो में विविधता न लाना / Diversify न करना 

पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन का मतलब है कई सेक्टर में पैसा लगाना जिससे उतार चढ़ाव का जोखिम कम हो सके |

म्यूचल फण्ड इन्वेस्टमेंट के समय यह ध्यान रखना जरूरी है कि अपना पूरा निवेश किसी एक म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी या सेक्टर में न करें बल्कि अलग अलग सेक्टर में करें |

मैं एक निवेशक का पोर्टफोलियो देख रहा था तो वह ब्लूचिप या लार्ज कैप के नाम पर 5 म्यूच्यूअल फंड  कंपनी में निवेश कर रहे थे |

अब आप ही बताये कि उन्होंने म्यूच्यूअल फंड कंपनी तो diversify की पर सेक्टर तो सभी लार्ज कैप ही रहा | 

फिर जब मैंने पोर्टफोलियो में स्टॉक्स का ओवरलैप चेक किया तब 65% शेयर इनमें एक जैसे थे |

अब इस चीज़ का उन्हें कोई फायदा नहीं होगा |

सबसे बढ़िया है कि फ्लेक्सी कैप फण्ड में निवेश करना जो बराबर तौर पर लार्ज, मिड और स्माल कैप स्टॉक्स में निवेश करता है |

इसलिए आप हमेशा यह देखें कि आपका म्यूचुअल फंड किन सेक्टर में निवेश कर रहा है और वह sectoral fund जैसा concentrated न होकर अलग अलग सेक्टर में हो |

8. म्यूच्यूअल फंड में Lump Sum या SIP में निवेश

इसे एक गलती तो नहीं कहूँगा बल्कि यह एक ऐसा प्रश्न है जो हमेशा नए निवेशकों को परेशान करता है |

यह बात सही है कि कई बार कुछ ख़ास समय के लिए lumpsum इन्वेस्टमेंट का रिटर्न SIP से अधिक हो जाता है पर इसके लिए आपको स्टॉक मार्किट की जानकारी होना आवश्यक है |

Lump Sum निवेश के लिए सही समय में निवेश और उससे निकलने के बारे में आईडिया होना चाहिए जबकि नए निवेशक के लिए SIP मोड से इन्वेस्ट करना एक बेहतरीन विकल्प है |

ऐसा इसलिए है क्योंकि एसआईपी के लिए बाजार को टाइम करने की आवश्यकता नहीं होती और लम्बे समय में आपको कास्ट एवरेजिंग का फायदा मिलता है |

9. अपनी जोखिम लेने की क्षमता को नज़रअंदाज़ करना

म्यूच्यूअल फंड में निवेश करने से फेल अपने risk appetite यानि जोखिम लेने की क्षमता को जरूर जानना चाहिए और उसी के हिसाब से इन्वेस्ट करना चाहिए |

मेरे एक मित्र ने जो केवल FD और गवर्नमेंट प्लान में निवेश करता था उसने रिटर्न के चक्कर में किसी के कहने पर स्माल कैप फंड में निवेश कर दिया |

अभी उसकी रातों की नींद हराम हो गयी है क्योंकि उसका पोर्टफोलियो अभी 25% से ऊपर के घाटे  में है और वह इसे देखकर अधिक इन्तजार करने के मूड में भी नहीं है |

इसलिए आप म्यूच्यूअल फण्ड में इन्वेस्ट करने से पहले सोच लें कि आप बड़े रिटर्न के लिए  कितना बड़ा रिस्क ले सकते हैं |

10. 5 स्टार रेटिंग और पिछले साल के रिटर्न को देखकर म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट करना

ये बहुत बड़ी गलती है जो अक्सर नए निवेशक करते हैं |

मान लें, किसी एक फंड नें पिछले 1-3 सालों में 35% रिटर्न दिए और उसे 5* रेटिंग मिली है तो क्या गारंटी है कि आगे भी वह ऐसे ही रिटर्न्स देगा |

देखिये बाजार कभी भी एक जैसा नहीं रहता और इसलिए म्यूचुअल फंड के रिटर्न भी कम समय में एक जैसे नहीं रहते |

इसलिए जब भी आप म्यूचुअल फंड की तुलना करें तब उसका ओवरआल रिटर्न या 7, 10 या 15 साल के रिटर्न्स जरूर देखें |

नए निवेशक ऐसे म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करने से बचें जो बाजार में हाल ही में लिस्ट हुए हैं और यही बनता है हमारा अगला पॉइंट |

11. NFO में निवेश करने से बचें

NFO यानि न्यू फण्ड ऑफर और जब भी कोई कंपनी नया म्यूच्यूअल फंड बाजार में लांच करती है तब वह एनएफओ के माध्यम से ही करती है |

ये बिलकुल IPO के जैसा होता है जब कोई नै कंपनी शेयर मार्किट में लिस्ट होती है |

वैसे देखने पर तो ये लगता है कि अभी NFO के दौरान एक यूनिट का दाम केवल 10 रु है इसलिए अभी निवेश करना बेहतर है पर ऐसा नहीं है |

ऐसा इसलिए क्योंकि उस म्यूच्यूअल फण्ड का पुराना डाटा मौजूद न होने के कारण उसके परफॉरमेंस का पता लगाना मुश्किल होता है |

इसी तरह हो सकता है उस एनएफओ का फंड मेनेजर भी नया हो तो उसके द्वारा मैनेज होने वाले फण्ड का डाटा भी मौजूद न हो |

इसलिए हो सकता है आप किसी NFO में निवेश कर के फंस जाएँ लम्बे समय तक, तो इस बात का ध्यान रखें |

12. म्यूच्यूअल फंड से जुड़े टैक्स की जानकारी न होना

म्यूच्यूअल फंड टैक्सेशन की जानकारी होना बहुत आवशक है अगर आप इसमें निवेश की प्लानिंग कर रहे हैं तब |

आपकी जानकारी के लिए बताता चलूँ कि डेट और इक्विटी म्यूच्यूअल फंड का टैक्सेशन अलग अलग होता है |

अगर किसी म्यूच्यूअल फण्ड में 65% से ऊपर का निवेश स्टॉक्स में है तब वह इक्विटी की श्रेणी में आता है |

जैसे अगर आपने इक्विटी म्यूच्यूअल फंड में निवेश किया है तब एक साल से कम निवेश पर आपको शोर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स (STCG) देना होगा जो होगा फ्लैट 15% |

पर यही STCG डेट फंड्स के लिए होगा 3 साल से कम और अगर आपने किसी डेट फण्ड को तीन साल से पहले बेचा तब आपके टैक्स स्लैब के हिसाब से ही टैक्स लगेगा |

अब अगर आपने किसी इक्विटी फंड में एक साल से ऊपर का निवेश किया तब एक लाख से ऊपर के प्रॉफिट पर ही ही आपको 10% की दर से टैक्स देना होगा जिसे कहा जायेगा LTCG Tax |

वहीँ अगर आप किसी डेट फंड को तीन साल से ऊपर बेचते हैं तब आपको लगेगा  LTCG टैक्स जो होगा 20% + इंडेक्सेशन बेनिफिट |

यहाँ पर इंडेक्सेशन के कारण महंगाई को घटा कर टैक्स निकला जाता है जो एक FD की तुलना में काफी कम हो जाता है |

13. कम समय में धुआंधार रिटर्न्स की आशा करना 

किस भी म्यूच्यूअल फंड में कम समय में बेहतरीन रिटर्न की अपेक्षा करना सही नहीं है और इसके लिए आपको पर्याप्त समय देना होगा |

वैसे भी अगर आप हर साल थोडा ही बढ़ने पर म्यूच्यूअल फंड को बेचते चलेंगे तब आप को उसी तरह से एग्जिट लोड और टैक्स भी देना होगा इस बात का ख्याल रखें |

लम्बे समय में आपको टैक्सेशन का फायदा तो होगा ही साथ ही साथ आपको कंपाउंडिंग का जबरदस्त फायदा मिलेगा |

जैसे मान लें, आप ने 5000 रु की SIP किसी म्यूच्यूअल फंड में की 25 साल के लिए, तब 15% रिटर्न मान के चलने पर आपको 25 साल बाद मिलेंगे करीब 1 करोड़ 65 लाख रु |

वहीँ यही SIP 5 सालों में देगी केवल साढ़े चार लाख रुपये |

14. अपने म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट का रिव्यु न करना

अब जब म्यूच्यूअल फंड में निवेश कर ही दिया है तब बस और अब कुछ करने की जरूररत नहीं है |

अक्सर लोग ऐसा ही सोचते हैं जो की गलत है क्योंकि हो सकता है कोई म्यूच्यूअल फंड पिछले दस साल से अच्छा परफॉर्म कर रहा हो पर अभी कुछ तिमाही से उसके परफॉरमेंस में कमी आई हो |

तब आप क्या करेंगे?

अब जैसे मैं हर छह महीनों पर गोल के साथ लिंक्ड उस म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो को रिव्यु करता हूँ |

अगर कोई म्यूच्यूअल फंड पिछले 3-4 क्वार्टर से बढ़िया नहीं परफॉर्म कर रहा है तब उसे दूसरे में स्विच ओवर कर देता हूँ |

हांलाकि यह चीज काफी कम होती है क्योंकि फंड मेनेजर काफी कुछ मैनेज कर लेते हैं पर आपको यह देखना ही होगा |

कई बार निवेश को देखते हुए किसी म्यूच्यूअल फंड में पैसे बढाने या घटाने की भी जरूरत पड़ सकती है जिसे आप पोर्टफोलियो रिव्यु के दौरान ही समझ सकते हैं |

15. अपनी पूरी सेविंग को एक साथ इन्वेस्ट कर देना

अपनी पूरे सेविंग को एक साथ इन्वेस्ट न करें बल्कि आपातकाल या इमरजेंसी के लिए भी कुछ पैसा बचा कर रखें जिससे आपको परेशान न होना पड़े |

 यह किसी इन्वेस्टमेंट का पहला नियम  है कि आप निवेश की शुरुआत करने से पहले एक इमरजेंसी फंड जरूर बना कर चलें |

 

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