क्या Commodity price बढ़ने से stock market पर कोई असर पड़ता है?
शेयर बाजार में क्या होता है जब कच्चा तेल (crude Oil) या फिर धातुओं (Metals) के दाम बढ़ने लगते हैं या फिर गेहूं या चावल के दाम अचानक गिर जाते हैं?
फाइनेंस की भाषा में कमोडिटीज का मतलब होता है कच्चा तेल, सोना, चांदी, कृषि उत्पाद और भी ऐसे ही अन्य जरूरी वस्तुएं जिनके उतार-चढ़ाव के कारण किसी भी देश की अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार प्रभावित होता है।
अगर आप स्टॉक मार्केट में निवेश करते हैं तो आपके लिए यह जानना बहुत ही जरूरी है कि कमोडिटीज के दाम का शेयर बाजार पर क्या असर पड़ता है जिससे कि आप अपने निवेश के लिए सही निर्णय ले सकें।
आज के इस लेख में हम बात करेंगे कि कमोडिटीज क्या होती हैं, कमोडिटीज प्राइस के उतार चढ़ाव का शेयर बाजार पर क्या असर पड़ता है और commodity price fluctuation से कैसे बचा जा सकता है?
कमोडिटीज क्या होती है | What are Commodities in Hindi?
Commodities को आप एक तरह का कच्चा माल समझ सकते हैं जिसे raw material भी कहा जाता है और जिसे तरह-तरह की इंडस्ट्री में उपयोग किया जाता है।
कमोडिटीज की अंतरराष्ट्रीय बाजारों में काफी वैल्यू होती है और इनमें ट्रेडिंग भी होती है।
इसका मतलब यह है कि इन कच्चे माल को स्टॉक एक्सचेंज पर आम शेयर के जैसे खरीदा और बेचा जाता है।
कमोडिटीज को मुख्यतः तीन प्रकार से बांटा जा सकता है (Commodities Classification)
1. ऊर्जा उत्पाद यानि Energy Products जिसके अंतर्गत आते हैं कच्चा तेल यानी कि Crude Oil और गैस।
2. धातु क्षेत्र यानी Metals जिसमें आते हैं सोना, चांदी, तांबा, निकेल कॉपर जिंक, एल्युमीनियम और प्लैटिनम इत्यादि जैसी धातुएं
3. खेती से जुड़े हुए उत्पाद यानि Agri products जैसे गेहूं, मक्का, चीनी, कपास, सोयाबीन और काफी इत्यादि।
इन Commodities को देखकर आपको समझ आ रहा होगा कि इनका हमारे दैनिक जीवन में और साथ ही साथ विभिन्न उद्योगों में कितना उपयोग होता है ।
इसीलिए इनमें उतार-चढ़ाव होने से हमारी अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार पर काफी असर पड़ता है।
कमोडिटी के दाम क्यों घटते बढ़ते रहते है | Why Commodity Prices Fluctuate?
अब तक तो आप यह समझ चुके होंगे कि इन कमोडिटीज के बदलाव के कारण शेयर बाजार पर असर आता है पर क्या आप जानते हैं की इन कच्चे माल का दाम क्यों घटता बढ़ता रहता है।
आई समझते हैं कुछ कारणों को:-
1. मांग और आपूर्ति | Demand & Supply
जब भी किसी खास commodity की मांग उसकी आपूर्ति से अधिक बढ़ जाएगी तब बाजार में उस कमोडिटी का दाम बढ़ जाएगा।
ठीक उसी तरह से जब भी उस माल की सप्लाई बढ़ने लगेगी तब उसका दाम भी कम होने लगेगा।
उदाहरण के लिए जब भी कोई भू-राजनीतिक तनाव होता है तब अक्सर क्रूड ऑयल के दाम बढ़ने लगते हैं क्योंकि इस कारण से उसकी सप्लाई बाधित होने का खतरा बढ़ जाता है।
वहीं पर अगर कोरोना जैसी कोई वैश्विक महामारी आती है तब कच्चे तेल का दाम घटने लगता है क्योंकि ऐसे समय में उसकी मांग कम हो जाती है।
2. भू-राजनीतिक घटनाएँ | Geopolitical Events
Geopolitical events का मतलब होता है भू-राजनीतिक घटनाएँ जिनका प्रभाव वैश्विक स्तर पर होता है जैसे कोई संघर्ष, सैंक्शन या ट्रेड डिस्प्यूट और इसका प्रभाव commodity price पर भी पड़ता है।
उदाहरण के लिए आप देख सकते हैं कि हाल ही के वर्षों में संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव के कारण टैरिफ लगाए जाने पर विभिन्न वस्तुओं विशेष रूप से एल्यूमिनियम और स्टील जैसी धातुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव आया था।
3. मौसम का प्रभाव | Weather Conditions
मौसम का प्रभाव अक्सर एग्री कमोडिटीज में ही आता है।
सूखा, बाढ़, तूफान और अधिक तापमान सहित मौसम की स्थितियां फसल की पैदावार के साथ साथ कच्चे माल की उपलब्धता को भी प्रभावित कर सकती हैं।
4. मुद्रा में उतार चढ़ाव | Currency Fluctuations
करेंसी में उतार-चढ़ाव से भी कमोडिटीज के दाम में बदलाव आता है।
जैसे, जब भी हमारा रुपया, डॉलर की तुलना में कमजोर होता है तब हमें तेल खरीदने के लिए अधिक पैसे खर्च करने पड़ते हैं ।
अब इसके कारण पेट्रोल और डीजल के दाम महंगे होने लगते हैं जिससे अन्य कमोडिटीज पर भी इसका असर पड़ता है।
5. सरकार की नीतियां | Government Policies
सरकार की नीतियों का भी commodity market पर खासा प्रभाव पड़ता है।
जैसे मान लें कि सरकार ने फर्टिलाइजर पर सब्सिडी कम कर दी तब एग्री कमोडिटी के प्रोडक्शन पर इसका नेगेटिव असर होगा जिससे ऐसी ही commodity की price बढ़ सकते हैं।
ठीक उसी तरह से अगर सरकार में किसी फसल पर MSP बढ़ा दी है तब उससे किसानों को फायदा होगा और इससे अधिक उपज भी होगी।
6. तकनीक में बदलाव | Advanced Technologies
तकनीक में बदलाव यानी Technological advancements से भी commodity price में उतार-चढ़ाव आ सकता है।
अगर आपको सन 2014 से 16 वाला समय याद हो तब उसे समय कच्चे तेल के दाम सबसे कम हो गए थे जिसका कारण था अधिक तेल की उपलब्धता।
यह अमेरिका में एक नई तकनीक के कारण हुई थी जिसका नाम था हाइड्रोलिक फ्रैकिंग जिसके बाद अमेरिका में तेल और गैस का प्रोडक्शन काफी अधिक बढ़ गया था।
अब वैश्विक स्तर पर जैसे ही तेल की आपूर्ति बढ़ गई तब वैसे ही इसका दाम भी घट गया।
7. अटकलों का बाजार | Market Speculations
स्पैक्यूलेशन यानी अटकलों का बाजार गर्म होने के कारण commodity trading में किसी प्रोडक्ट का दाम बहुत बढ़ाया जाता है लाभ लेने के उद्देश्य से।
अधिकतर बार ऐसी दशा में सोना या चांदी जैसी कमोडिटी शामिल होती है।
कई बार जब भी आर्थिक अनिश्चितता का दौर होता है तब निवेशक लोग स्टॉक मार्केट से पैसा निकाल करके सुरक्षित जगह जैसे सोने में अत्यधिक निवेश करते हैं जिसके कारण अचानक ही उसके दाम बढ़ने लगते हैं।
8. वैश्विक आर्थिक स्थितियां | Global Economic Conditions
ग्लोबल इकोनामिक कंडीशन यानी वैश्विक आर्थिक स्थितियां कैसी चल रही है उसे पर भी कमोडिटी के दाम काफी निर्भर करते हैं।
अगर वैश्विक स्तर पर सब कुछ बढ़िया चल रहा है और इकोनामिक ग्रोथ भी काफी बढ़िया है तब इसे कमोडिटीज की मांग बढ़ जाती है वहीं पर अगर मंदी का दौर यानी रिसेशन आ जाता है तब कमोडिटीज की मांग घट जाती है।
तो यह थे वह कुछ प्रमुख कारण जिनकी वजह से commodity price पर काफी असर पड़ता है और अगर आप stock market में निवेश करते हैं तब आपको इन सब कारणों पर ध्यान देना होगा।
कमोडिटी के दाम का शेयर बाजार पर असर | Commodity Price Affect on Stock Markets
अब आइये समझते हैं कि अगर बाजारों में कच्चे माल (commodities) के दाम अस्थिर होते हैं तो उसका असर शेयर बाजार पर किस तरह से पड़ता है।
भारत की बात करें तब यहां पर जीडीपी का करीब 85% कच्चा तेल आयात किया जाता है तब आप समझ ही सकते हैं कि सबसे अधिक प्रभाव कच्चे तेल में होने वाले उतार-चढ़ाव का ही होता है।
देखिए जब भी commodity price बढती है तब महंगाई बढ़ने के चांस रहते हैं जिसका नेगेटिव असर स्टॉक मार्केट पर भी पहले ही आ जाता है।
इसको आप कुछ इस तरह से समझे –
जब भी commodity price बढ़ती है तब कंपनियों की production cost भी बढ़ती है क्योंकि हो सकता है अधिकतर कंपनियों के रॉ मैटेरियल यानि कच्चे माल के तौर पर इन्हीं कमोडिटी को डायरेक्ट या इनडायरेक्ट रूप में उपयोग किया जा रहा हो।
उदाहरण के लिए किसी रिफाइनरी में क्रूड ऑयल का सीधा उपयोग होता है वहीं पर किसी पेंट इंडस्ट्री के लिए पेट्रोकेमिकल प्रोडक्ट का उपयोग होता है जो क्रूड ऑयल से ही बनता है।
अब जब raw material के दाम बढ़ेंगे तब बाकी गुड्स और सर्विसेज के दाम भी बढ़ेंगे जिससे महंगाई बढ़ेगी।
अब महंगाई बढ़ने के कारण आरबीआई मोनेटरी पालिसी में बदलाव होगा जिससे ब्याज दरें बढेंगी |
इस कारण से लोन लेना महंगा हो जाएगा और इससे अर्थव्यवस्था और स्टॉक मार्केट पर एक नेगेटिव असर पड़ेगा।
मैंने आपको पहले ही बताया था कि सभी कमोडिटीज में क्रूड ऑयल का प्रभाव हमारी अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार पर सबसे अधिक पड़ता है क्योंकि इसका इंपोर्ट सबसे अधिक होता है।
उसके बाद एग्री कमोडिटीज और फिर मेटल कमोडिटीज का असर बाजार पर पड़ता है।
तो यहां आपको समझ आ गया होगा कि महंगाई बढ़ने के डर से और अधिकतर सेक्टर पर भविष्य में उनके बैलेंस शीट पर प्रॉफिट मार्जिन कम होने के कारण स्टॉक मार्केट पहले से ही गिरने लगता है।
कमोडिटी के दाम का सेक्टर पर असर | Commodity Price Affect on Sectors
अब आइये देखते हैं कि विभिन्न कमोडिटी के दाम में उतार चढ़ाव से किन सेक्टर पर क्या असर पड़ता है?
तेल और गैस कमोडिटी | Oil & Gas Commodity Price
तेल और गैस भारतीय अर्थव्यवस्था की लाइफ लाइन है और इसके दाम में बदलाव हमारी अर्थव्यवस्था के साथ-साथ शेयर बाजार को भी हिला देता है।
इस लेख की शुरुआत में ही मैंने आपको बताया था कि हम लोग कच्चे तेल के सबसे बड़े इंपोर्टर हैं और इसीलिए इस कमोडिटी के बारे में जानकारी रखना बहुत ही आवश्यक है।
अगर बाजार में तेल और गैस के दाम बढ़ते हैं तब जो भी एक्सप्लोरेशन और प्रोडक्शन कंपनियां होंगी उनको फायदा होगा जैसे कि ONGC या Oil India इत्यादि।
अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में तेल के दाम बढ़ने के कारण ऐसी कंपनियां के रेवेन्यू और प्रॉफिट बढ़ेंगे जिससे कि उनका स्टॉक प्राइस भी बढ़ेगा।
पर यह फायदा बहुत ही कम सेक्टर तक ही सीमित रहेगा और अधिकतर सेक्टर को इसका घाटा ही होगा क्योंकि raw materials के दाम बढ़ाने के कारण उनके प्रॉफिट मार्जिन कम हो जाएंगे।
कुछ सेक्टर जैसे की रिफायनिंग, ऑयल मार्केटिंग, पेंट, एविएशन, ट्रांसपोर्टेशन, ऑटोमोबाइल और ऑर्गेनिक केमिकल इंडस्ट्री पर बढे हुए क्रूड प्राइस का नेगेटिव असर होगा।
इसके अलावा आम जनता को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा क्योंकि इससे चीजों के दाम और महंगाई भी बढ़ेगी।
क्रूड vs निफ्टी50 | Crude vs Nifty50 Chart
Crude Oil vs Nifty50 Chart के माध्यम से जानने की कोशिश करते हैं कि कच्चे तेल के दाम और निफ्टी50 में क्या संबंध है।
अगर आप इस चार्ट को देखें तब आपको यह समझ में आएगा कि अधिकतर बार जब भी अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में crude oil के दाम बढ़ते हैं तब तक हमारा stock market कमजोर ही होता है।
अब जैसे आप अभी 2022 से लेकर के 2023 तक वाला समय देखें जहां कच्चे तेल के दाम ऊपर थे और जिसके कारण महंगाई भी अधिक थी।
अब इस समय निफ्टी 50 ने फ्लैट से नेगेटिव रिटर्न दिया।
आप इस चार्ट में यह भी देखें जब तेल का दाम बिल्कुल ऊपर था तब निफ्टी50 बिल्कुल नीचे था।
अब जब से crude oil price कम हो रही है तब Nifty50 में भी रैली आ रही है।
आगे जब भी कच्चे तेल के दाम बढ़ेंगे तब हो सकता है बाजार इसके उलट हरकत करे।
यहां पर ध्यान दें कि केवल commodity price को देखकर के ही बाजार का मूड नहीं निकाला जा सकता क्योंकि इसके और भी कई इंडिकेटर होते हैं और यहां पर कमोडिटी भी एक इंडिकेटर होता है।
धातु कमोडिटी | Metals Commodity Price
धातु यानी metal का उपयोग इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट से लेकर के consumption तक आता है।
उदाहरण के लिए अगर स्टील को ले लिया जाए तब वह इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए सबसे जरूरी वस्तु है और यह कंस्ट्रक्शन, ऑटोमोबाइल और मैन्युफैक्चरिंग के लिए आवश्यक रॉ मैटेरियल है।
वहीं पर अल्युमिनियम काफी हल्का होता है और इसका उपयोग एयरोस्पेस, ट्रांसपोर्टेशन और पैकेजिंग के लिए काम आता है।
तांबे यानि copper की बात करें तो वह पावर और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर के लिए एक आवश्यक रॉ मैटेरियल है और वहीं पर सोने और चांदी का सीधा उपयोग तो किसी से छुपा नहीं है।
तो यहां पर आप यह समझे कि अगर मेटल कमोडिटी के दाम बढ़ते हैं तब मेटल प्रोडक्शन सेक्टर, मेटल माइनिंग सेक्टर, और ज्वेलरी बनाने वाली कंपनी को फायदा होगा जैसे Tata Steel, JSW Steel, Hindustan Copper या Titan इत्यादि।
वहीं पर धातुओं के दाम बढ़ाने के कारण इलेक्ट्रॉनिक, इंफ्रास्ट्रक्चर और ऑटोमोबाइल सेक्टर पर नेगेटिव असर पड़ेगा क्योंकि इनके रॉ मैटेरियल्स मेटल ही होते हैं जैसे लोहा, स्टील, तांबा इत्यादि।
यहां पर एक बात ध्यान रखने वाली है कि अगर metal commodity की price बहुत तेजी से बढ़ रही है खासकर सोने और चांदी के दाम तब इसका मतलब है कि आगे कोई आर्थिक अनिश्चितता आने की संभावना है।
सोना vs निफ्टी50 | Gold vs Nifty50 Chart
अब आप यहां पर सोना और निफ्टी 50 का चार्ट (gold vs Nifty50 chart) देखें जहां पर आप 2020 यानी Covid के समय पर ध्यान दें।
आप देख सकते हैं कि जब कोरोना का समय चल रहा था तब उसे समय आर्थिक अनिश्चितता का दौर था तब सोने के दाम सबसे अधिक थे और निफ्टी 50 बिल्कुल नीचे था।
ऐसा इसलिए था क्योंकि इस समय consumption यानी मांग बिल्कुल रुक चुकी थी और सुरक्षा की दृष्टि से gold investment ही सबसे बढ़िया निवेश था क्योंकि यह अनिश्चितता का समय था |
उसके बाद 2020 के बीच से जब स्थितियां थोड़ी ठीक होने लगी तब gold price टूटने लगे और वही निफ्टी50 में तेजी आने लगी।
वहीं पर आप यह 2022 फरवरी के आसपास का समय देखें जब रूस और यूक्रेन का युद्ध शुरू हुआ तब भी स्टॉक मार्केट गिर गया था और सोने के दाम बढ़ गए थे।
इस तरह से आप कह सकते हैं कि स्टॉक मार्केट और सोने के दाम में उल्टा संबंध होता है।
एग्री कमोडिटीज | Agri Commodity Price
भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां पर तरह-तरह की एग्री कमोडिटीज का प्रोडक्शन होता है जैसे कि गेहूं, चावल, दाल, गन्ना, कपास, चीनी इत्यादि।
यह कुछ ऐसे कृषि उत्पाद हैं जो की न केवल हमारे घरेलू उपयोग के लिए होते हैं पर इनके अलावा भी इनका निर्यात भी किया जाता है।
इसीलिए अगर agri commodities की price बढ़ती या घटती है तो उसका असर stock market पर आता ही है खासकर इनसे जुड़े हुए कुछ सेक्टरों पर।
अगर एग्री कमोडिटीज के दाम बढ़ते हैं तब वह फर्टिलाइजर, पेस्टिसाइड्स, फार्म इक्विपमेंट जैसे ट्रैक्टर बनाने वाली कंपनियों के लिए पॉजिटिव होगा।
उदाहरण के लिए कुछ कंपनियां जैसे NFL, UPL, Escorts या Mahindra इत्यादि के लिए यह एक पॉजिटिव संकेत होगा।
अब ऐसा इसलिए है क्योंकि अगर एग्री कमोडिटी के दाम अधिक होंगे तो किसान इन सब चीजों में अधिक निवेश करेगा और इसीलिए ऐसे सेक्टर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
वहीं अगर नकारात्मक प्रभाव की बात करें तब वह फूड प्रोसेसिंग और कंज्यूमर गुड्स सेक्टर पर होगा जैसे कि Britannia या D Mart इत्यादि।
अब ऐसा इसलिए है क्योंकि खाने के दाम बढ़ने से ऐसी कंपनियों की प्रोडक्शन कॉस्ट बढ़ जाएगी और इनका प्रॉफिट मार्जिन भी कम हो जाएगा जिसके कारण इनका शेयर प्राइस नीचे जाएगा।
यहां पर आप एक बार ध्यान दें कि हम लोग मुख्यतः खेती पर ही निर्भर हैं पर फिर भी कई चीजे बाहर से भी इंपोर्ट होती है तो इसमें मौसम और मांग और आपूर्ति का काफी प्रभाव पड़ता है एग्री कमोडिटी के प्राइस पर।
जैसे कि अगर सूखा पड़ गया या अधिक बारिश हो गई तब कम प्रोडक्शन के कारण एग्री कमोडिटीज के दाम बढ़ जाएंगे इसका नेगेटिव असर बाजार पर आएगा।
कमोडिटीज के उतार चढ़ाव से कैसे बचें | How to Avoid Commodity Price Fluctuations?
कमोडिटीज की प्राइस में हमेशा उधर चढ़ा होता ही रहता है तो कैसे आप अपने पोर्टफोलियो को इस उतार-चढ़ाव से बचाते हैं उसके लिए आपको बढ़िया स्ट्रेटजी बनानी पड़ेगी ।
तो ऐसे रिस्क को बेहतर ढंग से मैनेज करने के लिए कुछ तरीके हैं
1. पोर्टफोलियो का डायवर्सिफिकेशन करें | Diversify Your Portfolio
Commodity price fluctuation से बचने के लिए अपने इन्वेस्टमेंट को डायवर्सिफाइड रखें और तरह-तरह के सेक्टर और इंडस्ट्रीज में अपना निवेश करें जिससे उतार-चढ़ाव होने पर आपके पोर्टफोलियो पर अधिक असर न पड़े।
आप अलग-अलग asset class जैसे स्टॉक, म्युचुअल फंड, ईटीएफ, गोल्ड, बॉन्ड, रियल एस्टेट इत्यादि में निवेश करें।
2. सेक्टर और कंपनी पर रिसर्च करें | Research Sectors & Stocks
आप कमोडिटी मार्केट और ग्लोबल इकोनामिक कंडीशन पर नजर बनाए रखें।
साथ ही साथ में आप यह भी देखें कि आपने जिन कंपनी में इन्वेस्ट किया है उनका एक्स्पोज़र किसी कमोडिटी में कितना है और उसका क्या प्रभाव पड़ रहा है।
3. लंबे समय के लिए निवेशित रहे | Invest for Long Term
यहां सबसे बड़ी सीख यह है कि आप लंबे समय के लिए निवेश करें क्योंकि कमोडिटी के दाम में उतार-चढ़ाव हमेशा छोटे समय के लिए होता है|
इसलिए अपना नजरिया लंबा रखें।
4. डिविडेंड देने वाले एसेट में निवेश करें | Invest in Dividend Paying Assets
आप डिविडेंड देने वाले स्टॉक और असेट्स में भी निवेश करें जैसे की REIT और InvIT ।
अगर मान ले शेयर बाजार नीचे है तब भी आपको रेगुलर डिविडेंड के माध्यम से कमाई होती रहेगी।
5. आरबीआई की ब्याज दरों पर ध्यान दें | Monitor RBI Interest Rates
यहां पर सबसे जरूरी है कि आप महंगाई का डाटा और आरबीआई के इंटरेस्ट रेट बढ़ने और घटने पर भी ध्यान जरूर रखें।
यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि ऊपर जो भी स्ट्रेटजी बताई गई है वह खतरों को कम कर सकती हैं मगर पूरी तरह से खत्म नहीं कर सकती।
अगर आप स्टॉक मार्केट में निवेश करते हैं तब अपने फाइनेंशियल गोल, जोखिम लेने की क्षमता और कुल इन्वेस्टमेंट के समय को जरूर ध्यान रखें।
और अंत में…
तो आपने इस उपयोगी लेख में जाना कि commodity price और stock market एक दूसरे से काफी ज्यादा जुड़े हुए हैं।
कमोडिटी के दाम में उतार-चढ़ाव का असर अधिकतर बार खास सेक्टर तक ही सीमित होता है परंतु कुछ विशेष कमोडिटी जैसे crude oil के दाम में उतार-चढ़ाव पूरे शेयर बाजार को हिला सकता है।
Investor की दृष्टि से आपके लिए जरूरी है कि आप वैश्विक स्तर पर कमोडिटी के प्राइस ट्रेंड को देखते रहें इसके अलावा आप जियो पोलिटिकल न्यूज़ पर जरूर ध्यान दें।
वैसे commodity price fluctuations से बचने के लिए आप अपने portfolio को diversify करना ना भूले और हां लंबे समय तक निवेशित रहना हमेशा फायदे का सौदा साबित होता है।
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