Trading में Volume क्या होता है | Volume in Share Market in Hindi?

क्या आप जानते हैं कि केवल Trading Volume को देखकर के आप यह पता कर सकते हैं कि किसी शेयर में लोग कितना इंटरेस्ट ले रहे हैं?

शेयर मार्केट टेक्निकल एनालिसिस में वॉल्यूम एक ऐसा जरूरी टूल है जिसे ट्रेडर बेहतरीन ट्रेड लेने के लिए अक्सर ही इस्तेमाल करते हैं।

वॉल्यूम का मतलब होता है कि एक समय में बाजार में कितने शेयर्स या कॉन्ट्रैक्ट ट्रेड हुए हैं।

यह एक ऐसा शानदार इंडिकेटर है जो काफी कीमती जानकारियां और बाजार की दिशा के बारे में भी जानकारी देता है |

आज के इस लेख में हम बात करेंगे की वॉल्यूम क्या होता है (what is volume in share market in Hindi), इसका महत्व क्या है और ट्रेडर्स कैसे इसे बेहतरीन ढंग से इस्तेमाल कर सकते हैं?

शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है |What is Volume in Share Market in Hindi?

Volume का Hindi Meaning है कुल मात्रा और शेयर बाजार के लिए कुल शेयरों की संख्या |

यानि इसका मतलब है कि कुल खरीदे और बेचे गए शेयरों की संख्या को ही वॉल्यूम कहा जाता है |

Trading volume कुल शेयरो की संख्या को दर्शाता है जिनका कारोबार एक तय समय सीमा के बीच में किया गया।

आमतौर पर यह समय एक दिन या फिर एक ट्रेडिंग सेशन का होता है।

यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि किसी भी ट्रेडिंग वॉल्यूम में खरीदी और बिक्री दोनों ऑर्डर शामिल होते हैं।

इसका मतलब यह है कि अगर किसी कंपनी ABC के 500 शेयरों को खरीदा गया और फिर उन्हें बेचा गया एक ट्रेडिंग दिवस में तो उस स्टॉक का कुल ट्रेडिंग वॉल्यूम होगा 1000।

यहां पर आप यह ध्यान दें की trading volume को कैलकुलेट नहीं किया जाता बल्कि इसे गिना जाता है और फिर रिपोर्ट किया जाता है।

जब भी भी ट्रेडिंग का वॉल्यूम अधिक होता है तो इसका मतलब यह होता है कि अधिक से अधिक शेयरों की खरीदी और बिक्री की गई है वहीं पर जब ट्रेडिंग वॉल्यूम कम होता है तो इसका मतलब यह है कि शेयरों का लेनदेन कम हुआ है।

अधिक या तेज वॉल्यूम वाले शेयर्स को अधिक लिक्विड और एक्टिव माना जाता है जो एक पॉजिटिव इंडिकेटर होता है।

ट्रेडिंग वॉल्यूम को आप किसी भी प्रकार की सिक्योरिटीज के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं जैसे स्टॉक, बॉन्ड, फ्यूचर, ऑप्शंस, करेंसी या कमोडिटीज

शेयर मार्केट में वॉल्यूम का महत्व | Importance of Volume in Stock Market

Stock market technical analysis मैं वॉल्यूम की काफी महत्वपूर्ण भूमिका है ।

1. शेयर बाजार में ट्रेडिंग वॉल्यूम काफी मायने रखता है क्योंकि वॉल्यूम को देखते हुए ही यह पता किया जा सकता है कि किसी शेयर में निवेशकों की रुचि कितनी है ।

2. जब भी वॉल्यूम को किसी अन्य इंडिकेटर जैसे की स्टॉक के फंडामेंटल्स के साथ में मिलाया जाता है तो इसकी मदद से यह पता किया जा सकता है कि किसी शेयर को खरीदने और बेचने का सही समय क्या है?

जैसे मान ले, किसी कंपनी ने लगातार बढ़िया तिमाही नतीजे दिए हैं और उसके ट्रेडिंग वॉल्यूम में भी बढ़त जारी है तो यह एक संकेत है कि कंपनी में आगे तेजी आ सकती है क्योंकि निवेशकों का रुझान इस तरफ हो गया है।

3. Trading Volume को देखकर के trend reversal की पहचान भी की जा सकती है क्योंकि कई बार असामान्य वॉल्यूम में बढ़त परिवर्तन का संकेत होते हैं।

जैसे मान ले, कोई भी स्टॉक डाउनट्रेंड में चल रहा है और अचानक ही उसके वॉल्यूम में उछाल (High Volume) आता है तो इसका मतलब यह एक नए uptrend की शुरुआत का संकेत हो सकता है।

4. Volume को देखते हुए किसी भी सिक्योरिटी की तरलता यानी liquidity का विश्लेषण किया जा सकता है।

इसका मतलब यह है की अगर किसी स्टॉक की लिक्विडिटी अधिक है तो उसे खरीदने और बेचने में भी आसानी होगी।

5. ट्रेडिंग वॉल्यूम बाजार के ट्रेंड की जानकारी देता है।

Uptrend के दौरान वॉल्यूम अधिक होना तेजी की ओर इशारा करता है वही Downtrend के दौरान अधिक वॉल्यूम होना मंदी को दिखाता है।

वॉल्यूम को कहां देखा जा सकता है | Where to See Trading Volumes?

volume in stock trading

किसी शेयर के ट्रेडिंग वॉल्यूम की गणना सभी स्टॉक एक्सचेंज लगातार करते रहते हैं और इसीलिए आप कभी भी NSE, BSE या फिर किसी थर्ड पार्टी वेबसाइट जैसे moneycontrol या फिर अपने ब्रोकर की वेबसाइट पर इसे देख सकते हैं।

Volume की जानकारी आप कैंडलेस्टिक चार्ट्स पर भी ले सकते हैं जिसे चार्ट पर एक वर्टिकल बार से दिखाया जाता है जो एक समय अवधि (time frame) के लिए कुल वॉल्यूम को दर्शाता है।

इसका मतलब यह है कि अगर आप ने 15 मिनट के प्राइस एक्शन वाला चार्ट लगाया है तो यहां पर हर एक 15 मिनट के अंतराल के लिए कुल ट्रेडिंग वॉल्यूम को दिखाने वाले बार प्रदर्शित किए जाएंगे।

Candlestick chart को आप कितने भी समय अवधि के लिए रख सकते हैं जैसे 5 मिनट, 15 मिनट, एक घंटा, दिन महीना, 200 दिन इत्यादि |

ऊपर दिखाए गए चार्ट में आप देख सकते हैं कि आमतौर पर यह वॉल्यूम बार हरे या लाल रंग के होते हैं जहां पर हरा खरीददारी का संकेत देता है और वही लाल बिक्री का संकेत देता है।

Volume को देखकर Trade कैसे करें?

अगर आप वॉल्यूम की मदद से ट्रेडिंग करना चाहते हैं तब पहले कुछ बातों को ध्यान में रखें |

  • Volume = Total Quantity of Shares Traded (Buy + Sell)
  • वॉल्यूम को हमेशा एक टाइमफ्रेम में ही देखा जाता है जैसे एक मिनट, पंद्रह मिनट, एक घंटा, एक दिन, एक महीना या साल इत्यादि |
  • Volume = Liquidity = Interest
  • Green Volume Bar – खरीददारी (Buying)
  • Red Volume Bar – बिक्री (Selling)

अब आइये समझते हैं कि आप वॉल्यूम को कैसे अपने ट्रेड में इंडिकेटर के जैसे प्रयोग कर सकते हैं |

तेजी के संकेत | Bullish Signals

आइये बात करें कि कैसे आप वॉल्यूम को देखकर स्टॉक में होने वाली तेजी को पहले से जान सकते हैं |

1. तेज वॉल्यूम ब्रेकआउट | High Volume Breakout

stock market trading

जब भी स्टॉक साइडवेज़ होता है तब वह हमेशा अपने resistance से टकरा कर वापस आ जाता है | देखें – Support & Resistance in Stock Market

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि रेजिस्टेंस पॉइंट पर आकर सारे buyers, sellers में बदल जाते हैं और स्टॉक का दाम फिर नीचे आ जाता है |

अब जैसे आप ऊपर दिए गए Coal India का चार्ट देखें जहाँ पर 245 के आस पास काफी बढ़िया रेजिस्टेंस था |

अब 245 के ऊपर शेयर का ब्रेकआउट होता है पर यह टिकाऊ है कि नहीं यह कैसे पता चलेगा |

हो सकता है कि पहले जैसे फिर से गलत ब्रेकआउट कर के स्टॉक वापस नीचे आ जाये |

तब यहाँ काम आता है trading volume जहाँ पर आपको यह देखना है कि अगर ब्रेकआउट के साथ साथ वॉल्यूम भी बढ़ रहा है तब यह तेजी और भी अधिक होने वाली है |

आप देख ही सकते हैं कि heavy volume breakout के बाद कोल इंडिया का शेयर 284 पर ट्रेड कर रहा है |

अब अगर यहाँ पर ब्रेकआउट तो हो गया पर वॉल्यूम नहीं होता तब यह तेजी टिकने वाली नहीं होती |

2. वॉल्यूम तेज और शेयर में तेजी | Uptrend with High Volumes

share market volume

अगर किसी शेयर में तेजी आ रही है पर साथ ही साथ उसका ट्रेडिंग वॉल्यूम भी बढ़ता जा रहा है तब यह बताता है कि उस शेयर में निवेशकों का भरोसा बढ़ रहा है |

इस कारण से भविष्य में उस शेयर में तेजी आ सकती है |

जैसे आप यह suzlon energy का monthly chart देखें जहाँ लगातार दाम तो बढ़ ही रहा था पर साथ ही साथ volume भी बढ़ रहा था |

बढ़ता हुआ वॉल्यूम और प्राइस निवेशकों के कॉन्फिडेंस को दर्शाता है |

3. वॉल्यूम कम और शेयर में तेजी | Uptrend with Low Volumes

stock market charts

अगर किसी stock में तेजी आ रही है पर उसका trading volume घटता जा रहा है तब यह बताता है कि उस शेयर में निवेशकों का भरोसा घट रहा है |

इस कारण से भविष्य में उस शेयर में मंदी आ सकती है या फिर वह sideways हो सकता है |

जैसे आप यह IRCTC का daily chart देखें जहाँ दाम तो बढ़ ही रहा था पर  volume लगातार कम हो रहा था |

इसके बाद कुछ समय तक ये शेयर गिर गया और फिर साइडवेज़ हो गया |

घटता हुआ वॉल्यूम बताता है कि निवेशकों का भरोसा धीरे धीरे कम हो रहा है और वह किसी और स्टॉक में एंट्री करने के फ़िराक में हैं |

मंदी के संकेत | Bearish Signals

आइये बात करें कि कैसे आप वॉल्यूम को देखकर स्टॉक में होने वाली मंदी को पहले से जान सकते हैं |

1. तेज वॉल्यूम ब्रेकडाउन | High Volume Breakdown

stock trading

जब भी कोई स्टॉक downtrend या sideways होता है तब उसका एक support level बन जाता है |

अब अगर यह सपोर्ट लेवल से भी नीचे चला जाता है तब इस शेयर में बिकवाली का दबाव आ सकता है |

अगर कोई सपोर्ट लेवल टूट गया और साथ ही साथ वॉल्यूम भी तेज है तब आगे और भी गिरावट हो सकती है |

अगर लेवल ब्रेकडाउन तो हैं पर trading volume में कोई अधिक परिवर्तन नहीं है तब यह आगे के तेज गिरावट का संकेत नहीं है |

2. वॉल्यूम तेज और शेयर में मंदी | Downtrend with High Volumes

stock volume

अगर किसी शेयर में downtrend है पर volume भी बढ़ रहा है या कांस्टेंट है तब यह आगे और भी गिरावट का संकेत देता है |

शेयर के गिरने के साथ साथ अधिक वॉल्यूम का होना यह बताता है कि निवेशकों को किसी कारण यह शेयर पसंद नहीं आ रहा और इसलिए उसे लगतार बेचा जा रहा है  |

3. वॉल्यूम कम और शेयर में मंदी | Downtrend with Low Volumes

शेयर वॉल्यूम

अगर शेयर का दाम गिर रहा है पर वॉल्यूम में अधिक तेजी नहीं है या फिर वॉल्यूम लगातार कम हो रहा है तब यह समझा जा सकता है कि आगे जाकर गिरावट थम सकती है |

इसका मतलब यह भी होता है कि आगे शेयर sideways जा सकता है और उसके बाद कभी भी उसमें अपट्रेंड की शुरुआत हो सकती है |

जैसे आप इस IRCTC के स्टॉक में देखें कि एक भयंकर तेजी के बाद गिरावट पर ट्रेडिंग वॉल्यूम में लगतार कमी इसलिए यह स्टॉक consolidation zone में चला गया |

और अंत में….

Volume शेयर बाजार की नब्ज को पकड़ने का एक नायाब इंडिकेटर है |

जब किसी शेयर का दाम काफी अधिक गिर जाता है तब उसमें खरीददारी (buying) वापस लौटने लगती हैं जिससे वॉल्यूम बढ़ने लगता है और फिर धीरे-धीरे करके उस स्टॉक की प्राइस भी बढ़ने लगती है |

अगर आप ट्रेडिंग करते हैं तब वॉल्यूम के साथ साथ अन्य इंडिकेटर जैसे सपोर्ट रेजिस्टेंस या मूविंग एवरेज इत्यादि भी साथ लगाकर चलें |

जितना अधिक इंडिकेटर आप उपयोग करेंगे उतना ही बढ़िया आपका ट्रेड होगा |

मैं यहाँ उम्मीद करता हूँ कि आपको शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या है और इसका उपयोग ट्रेडिंग में कैसे करें समझ आ गया होगा |

अगर आपका इसपर कोई प्रश्न हो तब हमें कमेंट जरूर करें |

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