शेयर मार्केट में कैंडलस्टिक चार्ट (Candlestick Chart) क्या है?

कैंडलस्टिक चार्ट का सबसे अधिक उपयोग टेक्निकल एनालिसिस करने के लिए होता है जो किसी ख़ास समय में किसी भी एसेट का  price movement बता सकता है|

इस चार्ट का उपयोग स्टॉक ही नहीं बल्कि बॉन्ड, कमोडिटीज और करेंसी सहित किसी भी संपत्ति (Asset) के लिए किया जा सकता है।

पिछले लेख में हमने बात किया कि टेक्निकल एनालिसिस क्या होता है और इसके क्या फायदे हैं आज हम बात करेंगे कि शेयर मार्केट कैंडल चार्ट कैसे सीखें और समझें?

Technical Analysis और Chart की उपयोगिता 

YouTube player

 

जैसा मैंने आपको पहले बताया था कि technical analysis बीते समय के price के pattern की पढ़ाई है जिसमें हमें supply, demand और trend की जानकारी मिलती है।

अब यहां पर मैंने डिमांड और सप्लाई की बात क्यों की?

देखिए यह तो बाजार का मूलभूत यानी बेसिक सिद्धांत है जो मांग और आपूर्ति पर चलता है ।

जब भी खरीदने वाले बेचने वालों से अधिक रहेंगे तब उस चीज की मांग बढ़ेगी और इस तरह से उसकी प्राइस पड़ेगी और वह शेयर ऊपर जाएगा।

ठीक इसी के उलट जब भी खरीदने वाले बेचने वालों से कम रहेंगे तब वह चीज की मांग घट जाएगी और इस तरह से उसकी प्राइस भी घट जाएगी और वह स्टॉक नीचे जाएगा।

उस स्टॉक से संबंधित कोई भी समाचार हो या कोई इवेंट हो तो इसका असर उस शेयर के दाम पर पड़ता है और इसी के हिसाब से ही टेक्निकल चार्ट बनते बिगड़ते हैं।

आपने अक्सर देखा होगा कि कितनी बार किसी स्टॉक का प्राइस किसी दिन ऊपर की ओर रहता है हो सकता है उसकी अर्निंग रिपोर्ट बढ़िया आई हो, कोई पॉजिटिव न्यूज़ हो या फिर उस कंपनी ने कोई नया प्रोडक्ट मार्केट में उतारा हो।

कुल मिलाकर इन सब न्यूज़ का प्रभाव यह पड़ता है कि अचानक से खरीदने वाले बढ़ जाते हैं और उस दिन उस स्टॉक का प्राइस चढ़कर के बंद होता है।

अब यहां वह स्टॉक के बढ़ने का कोई भी कारण हो पर उसका असर आपको टैक्टिकल चार्ट्स में साफ-साफ दिख जाएगा ।

इसलिए कहा जाता है चार्ट्स कभी झूठ नहीं बोलता और यही चीज फंडामेंटल एनालिसिस में नहीं होती है।

शेयर मार्किट में चार्ट कितने प्रकार के होते हैं | Types of Chart in Share Market in Hindi

technical charts

आइये जानते हैं कि टेक्निकल एनालिसिस में चार्ट्स कितने प्रकार के होते हैं ?

1. रेखा चार्ट | Line Chart

लाइन चार्ट यानी रेखा चार्ट वह है जो सबसे सिंपल और आसान होता है

ध्यान दें कि इस चार्ट में केवल एक ही डाटा पॉइंट होता है जो होता है केवल क्लोजिंग प्राइस को लेकर और उसी पर यह चार्ट तैयार किया जाता है।

इसमें हर दिन के closing price के लिए एक चार्ट पर एक पॉइंट बना जाता है और उसके बाद उन सारे पॉइंट्स को एक लाइन से जोड़ दिया जाता है जिससे लाइन चार्ट बन जाता है।

मान ले अगर आप 30 दिन का डाटा देख रहे हैं तो उन सारे दिनों के क्लोजिंग प्राइस को जोड़कर के 1 लाइन खींची जाती है और लाइन चार्ट बन जाता है।

लाइन चार्ट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह बहुत ही सीधा और सरल होता है ।

कोई भी ट्रेडर इसको देखकर एक ट्रेंड का पता लगा सकता है। लेकिन इसका सीधा और सरल होना ही इसकी सबसे बड़ी कमजोरी भी है ।

लाइन चार्ट सिर्फ एक तरह का ट्रेंड बता सकता है और कुछ नहीं ।

इसके अलावा लाइन चार्ट की दूसरी कमजोरी यह है कि यह सिर्फ closing point पर बनाए जाता है और दूसरे डाटा पॉइंट जैसे open, high और low पर ध्यान नहीं देता इसलिए ट्रेडर लाइन चार्ट का अधिक इस्तेमाल नहीं करते हैं।

2. बार चार्ट | Bar Chart

बार चार्ट जिसमें लाइन चार्ट के मुकाबले कुछ अधिक डाटा डाला जा सकता है और तो और इसमें आप Open, High, Low, Close को भी दिखा सकते हैं।

पर देखा जाए तो bar chart चारों डेटम पॉइंट दिखाता जरूर है लेकिन फिर भी यह देखने में बहुत अच्छा नहीं होता और यही बार चार्ट की सबसे बड़ी कमजोरी है।

Bar Chart को देख करके आसानी से किसी भी पैटर्न का पता लगाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है खासकर जब आपको दिन में कई चार्ट देखने हो।

इसलिए ट्रेडर लोग बार चार्ट का इस्तेमाल कम ही करते हैं।

3. कैंडलस्टिक चार्ट | Candlestick Charts

टेक्निकल एनालिसिस में उपयोग होने वाले सबसे मशहूर चार्ट हैं जापानी कैंडलेस्टिक चार्ट (share market me candle chart in hindi)।

जब भी टेक्निकल एनालिसिस की बात आती है तो अपने इसी चार्ट को देखा होगा जिसके बारे में हम लोग डिटेल में आगे बात करेंगे और आगे की पूरी टेक्निकल एनालिसिस से जुड़े लेख में इसी कैंडलेस्टिक चार्ट पर ही बेस्ट होंगे।

वैसे bar chart की तरह ही japanese candlestick भी ओपन, हाई, लो और क्लोज दिखाते हैं पर एक बात जो इसे बाकियों से अलग करती है वह है आसानी से पहचाने जाने वाले patterns जिसके बारे में हम लोग आगे आने वाले लेख में बात करेंगे।

ये चार्ट बार चार्ट के समान दैनिक, साप्ताहिक या 1 मिनट के चार्ट पर भी उपयोग किए जा सकते हैं |

जापानी कैंडल चार्ट का इतिहास | History of Japanese Candlestick Chart

कैंडलस्टिक चार्ट की शुरुआत जापान में 18वीं शताब्दी में हुई थी जहाँ पर चावल के price movements को track करने के लिए उनका उपयोग किया गया था।

यह चार्टिंग तकनीक मुनेहिसा होमा (Munehisa Homma) नाम के एक जापानी चावल व्यापारी द्वारा विकसित की गई थी जो चावल के भविष्य के दाम में उतार चढ़ाव की भविष्यवाणी (future price movements prediction) करने में मदद के लिए कैंडलस्टिक चार्ट का इस्तेमाल करती थी।

होमा के कैंडलस्टिक चार्ट technical analysis में उपयोग किए जाने वाले आधुनिक कैंडलस्टिक चार्ट के शुरूआती थे।

होमा के चार्ट में चावल की open और close price बताने वाली लाइनें शामिल थीं, जिसमें क्षैतिज रेखाएं high और low कीमतों को बताती थीं।

आधुनिक समय के शेयर मार्किट कैंडल चार्ट को पश्चिमी दुनिया में 1980 के दशक में एक तकनीकी विश्लेषक स्टीव निसन (Steve Nison) द्वारा पेश किया गया था, जिन्होंने एक जापानी ब्रोकर से इस तकनीक के बारे में सीखा था।

निसन ने “जापानी कैंडलस्टिक चार्टिंग तकनीक” सहित इस विषय पर कई किताबें लिखीं, जिसने तकनीकी विश्लेषण (Technical Analysis) में candlestick charts के उपयोग को लोकप्रिय बनाने में मदद की।

कैंडलस्टिक चार्ट कैसे काम करते हैं | How Candlestick Charts Work?

एक कैंडलस्टिक चार्ट में अलग-अलग “candle” की एक श्रृंखला होती है जो किसी निश्चित अवधि जैसे कि एक दिन, एक सप्ताह या एक महीने में किसी asset के दाम में उतार चढ़ाव  (price movements) को बताती है |

प्रत्येक कैंडल एक “Body” और “Wicks” (या “Shadow”) से बनी होती है।

आप bearish और bullish के बारे में जानते ही होंगे जो बाजार की एक भाषा है जिसमें bearish मतलब है मंदी और bullish का मतलब है तेजी।

Candle charts में दोनों तरह की कैंडल देखी जा सकती है जिसे हम bearish यानी मंदी की कैंडल या फिर bullish या तेजी की कैंडल कहते हैं।

कैंडलेस्टिक चार्ट में bearish candle लाल या काले रंग की होती है वहीं bullish candle नीले हरे या सफेद रंग से दिखाई जाती हैं।

वैसे आप इन रंगों को कभी भी बदल सकते हैं और अपनी पसंद के रंग डाल सकते हैं क्योंकि टेक्निकल एनालिसिस का सॉफ्टवेयर आपको रंग बदलने की सुविधा देता है।

वैसे आपने देखा ही होगा कि अधिकतर जगह पर तेजी को हरे रंग से और मंदी को लाल रंग के कैंडल से दिखाया जाता है।

कैंडलेस्टिक चार्ट में आपको किसी भी समय का ओपन, हाई, लो, क्लोज मिल जाएगा और इन चार्ट को आप 1 मिनट से लेकर के डेली, वीकली या मंथली के टाइम फ्रेम पर भी उपयोग कर सकते हैं।

अगर आप भी इन भारी-भरकम शब्दों से कंफ्यूज हो रहे हैं तो चिंता मत करें समय के साथ-साथ आपको सब समझ आने लगेगा जैसे जैसे हम लोग आगे बढ़ते जाएंगे।

तेजी की कैंडलस्टिक क्या है | What is Bullish Candlestick?

कैंडलस्टिक

Bullish Candle में बाजार बंद होने के समय की कीमत (closing price) खुलने वाली कीमत (opening Price) से अधिक होती है |

इस कैंडल को देखें जिसमें तीन हिस्से हैं आप इस चित्र को देखकर समझिए कि bullish candlestick कैसे बनता है।

बीच की बॉडी जिसे central real body कहते हैं, मुख्य हिस्सा है जो कि आयताकार यानी rectangular होता है और open और close कीमत को जोड़ता है।

Upper Shadow यानी ऊपरी परछाई high यानी सबसे ऊंची कीमत को बंद होने के समय वाली कीमत यानी closing price से जोड़ती है।

Lower Shadow यानी निचली परछाई सबसे निचली कीमत को open price यानी बाजार खुलने वाली कीमत से जोड़ती है।

इस कैंडल में आप देख सकते हैं कि यहां पर ओपन, हाई, लो और क्लोज को भी कैसे दिखाया गया है।

अब चलिए इसे एक उदाहरण से समझते हैं कि bullish candle कैसे बनती है |

मान लीजिए कि किसी शेयर का price कुछ इस तरह से हैं जिसे इस 1 दिन की कैंडल से दिखाया गया है|

bullish candlestick

शेयर open हुआ ₹165 पर, high लगाया ₹175 का इसके लिए आप यह upper shadow देखिए-

फिर low गया ₹160 तक आप यह lower shadow देखें

उसके बाद में closing हुई ₹168 पर

अब क्योंकि open price से close price अधिक है तब यह एक बुलिश कैंडल हुआ।

मंदी की कैंडलस्टिक क्या है | What is Bearish Candlestick?

कैंडलस्टिक चार्ट

Bearish Candle में बाजार बंद होने के समय की कीमत (closing price) खुलने वाली कीमत (opening Price) से कम होती है |

मंदी की कैंडल में भी 3 हिस्से होते हैं जिसे आप इस चित्र में देख सकते हैं।

Central body जो एक आयताकार मुख्य बॉडी होती है जो open और close price को जोड़ती है हालांकि इसमें opening ऊपर की तरफ और closing इस rectangle के नीचे की तरफ होता है।

Upper shadow यानि ऊपरी शैडो high price को open से जोड़ता है

Lower shadow या नीचे का शैडो low को closing price यानी बंद होने वाली कीमत से जोड़ता है

अब चलिए इसे एक उदाहरण से समझते हैं कि बेयरिश कैंडल कैसे बनती है?

मान लें कि यह 1 दिन की मंदी की कैंडल है जो इस चित्र में दिखाया गया है-

bearish candlestick

यहां पर शेयर ओपन हुआ ₹168 रुपए पर|

हाई लगाया ₹175 का, यह शैडो देखिए |

लो गया ₹160 तक देखिए लोअर शैडो |

और अंत में क्लोज हुआ ₹165 पर |

अब क्योंकि ओपन प्राइस से क्लोजिंग प्राइस कम है तब यह एक मंदी की कैंडल हुई |

आशा करता हूं कि यहां तक आपको यह कंसेप्ट समझ में आ रहा होगा।

एक बार आपको कैंडलेस्टिक चार्ट प्लॉट करना आ जाए तो उसे पढ़कर उसके पैटर्न को समझना आपके लिए आसान हो जाएगा।

अब आप खुद से ही प्रैक्टिस करें और अलग-अलग टाइमफ्रेम पर बने हुए कैंडलेस्टिक चार्ट को देखें

Candlestick Chart में Timeframe क्या रखें?

आप देख रहे होंगे कि हम लोग अक्सर यहां टाइम फ्रेम, टाइम फ्रेम रट रहे हैं, देखिए चार्ट देखते वक्त सही time frame को चुनना आधी जंग जीतने के समान है।

ट्रेडर्स के द्वारा उपयोग किए जाने वाले कुछ मशहूर टाइम फ्रेम इस तरह से हैं-

  • Intraday के लिए 30,15 या 5 मिनट का चार्ट |
  • हाई फ्रिकवेंसी ट्रेड के लिए 1 मिनट का चार्ट
  • Day Trading के लिए EOD यानी एंड ऑफ डे चार्ट जिससे आप swing trade के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं
  • Medium Term के लिए Weekly chart 
  • Long Term के लिए Monthly Chart

तो देखा आपने,  कैसे आप अलग-अलग टाइम फ्रेम का उपयोग करके अलग-अलग प्रकार के ट्रेड ले सकते हैं

सबसे पहले तो आपको खुद से ही यह प्रश्न पूछना होगा कि आप किस प्रकार की ट्रेड में सहज (Comfortable) हैं |

वैसे अगर आप नई नई शुरुआत कर रहे हैं तब आपको यही सलाह है कि आप स्विंग ट्रेडिंग से ही शुरुआत करें जिसके बारे में आगे के लेख में बताया जाएगा।

यहां ध्यान दें कि जैसे-जैसे time frame कम होता जाता है जैसे 15 मिनट से 1 मिनट तो कैंडल की संख्या यानी data points बढ़ जाते हैं ।

और अंत में …

शेयर मार्किट में कैंडल चार्ट एक लोकप्रिय financial tool है जिसका उपयोग traders द्वारा financial markets को analyze करने और भविष्य की कीमतों के उतार-चढ़ाव की भविष्यवाणी (future price predictions) करने के लिए किया जाता है |

आपने इस लेख में तरह तरह के टेक्निकल चार्ट को समझा और यह भी जाना कि Bullish और bearish candlestick कैसे बनता है |

यहाँ time frame के बारे में समझना आवश्यक है और आपको कैसा टाइम फ्रेम चाहिए यह इस पर निर्भर करता है कि आप किस प्रकार के ट्रेडर हैं।

देखिए डाटा आपको काम की जानकारी भी दे सकते हैं और बेवजह की जानकारी भी दे सकते हैं।

एक ट्रेडर के तौर पर आपको जानकारी या जरूरत से ज्यादा जानकारी के बीच में चुनाव करना होता है ।

जैसे एक लंबी अवधि के इन्वेस्टर को वीकली या मंथली चार्ट देखना चाहिए क्योंकि यही उसको उसके काम की जानकारी देगा जबकि एक इंट्राडे ट्रेडर को डेली या फिर 15 मिनट का चार्ट देखना चाहिए।

अगर आप दिन में ही बहुत सारे ट्रेड्स लेना चाहते हैं तब 1 मिनट का चार्ट आपके काम की जानकारी दे देगा।

तो आप समझ गए होंगे कि आपको टाइम फ्रेम का चुनाव अपनी जरूरत के हिसाब से ही करना चाहिए।

अगर आप टेक्निकल एनालिसिस के बारे में और कुछ जानना चाहते हैं तब हमें कमेंट जरूर करें |

इस उपयोगी लेख को अधिक से अधिक शेयर करें जिससे सभी लोग इसका लाभ ले सकें |

शेयर करें!

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

आप इस पेज की सामग्री को कॉपी नहीं कर सकते!

Scroll to Top