REIT Taxation – अगर आपने रीट में निवेश किया है तो क्या आप जानते हैं कि उससे होने वाली कमाई पर टैक्स कैसे लगता है?
REIT यानी Real Estate Investment trust एक ऐसा इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट है जो रियल स्टेट में निवेश करता है।
रीट इन्वेस्टमेंट को आप debt और equity के बीच में कहीं रख सकते हैं और इसे एक हाइब्रिड प्रकार का इन्वेस्टमेंट मान सकते हैं जो कि काफी सुरक्षित होता है।
रीट एक ऐसा प्रोडक्ट है जिसमें आपको regular income तो मिलती ही है साथ ही साथ स्टॉक के जैसे capital appreciation भी मिलता है।
मुझे काफी सारे लोगों ने कमेंट किया है कि रीट में टैक्सेशन किस तरह से काम करता है और जो भी डिविडेंड्स कंपनी डिक्लेअर करती है उनमें टैक्स की देनदारी कैसे होती है?
[lwptoc borderColor=”#dd3333″]
रीट इनकम पर टैक्स कैसे लगता है | REIT Taxation in India
आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि Reit taxation थोड़ा सा मुश्किल होता है क्योंकि जो भी डिविडेंड कंपनी डिक्लेअर करती है उसके कई सारे भाग होते हैं और सभी भागों पर टैक्स की देनदारी नहीं बनती है।
Reit tax को हम दो भागों में बाटेंगे-
- डिस्ट्रीब्यूशन यानि जो डिविडेंड कंपनी डिक्लेअर करती है उस पर कितना टैक्स लगेगा |
- कैपिटल गैंस पर कितना टैक्स लगेगा।
1. REIT के Income Distribution पर टैक्स
मान लें, आपने किसी एफडी में इन्वेस्ट किया है तो आपको जो भी इनकम होगी वह ब्याज यानी इंटरेस्ट से होगी।
वहीँ अगर आपके पास में किसी कंपनी के शेयर हैं तो आपकी इनकम डिविडेंड के माध्यम से होगी।
अब अगर रीट की बात करें तो डिविडेंड के अलावा आपको इंटरेस्ट के साथ-साथ और भी अन्य प्रकार के लाभ मिलते हैं जिनका टैक्स कैलकुलेशन अलग अलग होता है।
अब आइए आपको बताते चलें कि किसी कंपनी के REIT की Income कितने तरीकों से होती है जो आपको डिविडेंड के रूप में बांटी जाती है।
- Rental income यानी जो भी प्रॉपर्टी कंपनी के पास होती है उस पर उसे किराए से आमदनी होती है।
- डिविडेंड, जो उसे उसकी सब्सिडरी या फिर SPV (Special Purpose Vehicle) से मिलता है जिनके पास खुद की प्रॉपर्टी है और वह उससे रेंट कमा रहे हैं।
- Interest aur principal repayment यानि जो भी लोन उस REIT ने अपनी सब्सिडियरी कंपनियों को दिया है वह कंपनियां उस लोन को धीरे-धीरे चुकाती रहती हैं।
- कई बार कंपनी अपने रियल स्टेट एसेट को बेच देती है या फिर अपना स्टेक डाइल्यूट कर देती है जिससे उसे तत्काल कैपिटल गैंस मिलता है जिसे वह अपने इन्वेस्टर्स के बीच में बांटती है।
- पांचवा होता है इन सब के कंबीनेशन से बनी हुई या फिर इनके अलावा अन्य स्रोतों से आने वाली कमाई।
तो अब आप समझ सकते हैं कि जो भी डिविडेंड इनकम आपको हर तिमाही मिलती है उसके अनेकों भाग क्यों होते हैं।
रीट डिविडेंड इनकम के विभिन्न भागों पर टैक्स किस प्रकार से लगता है?
1. Interest Income
यह निवेशक के हाथ में पूरी तरह से टैक्सेबल होता है उसके टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्सेबल होता है |
2. Dividend Income
यहां पर 2 भाग होते हैं ।
a.आपको डिविडेंड से होने वाली कमाई पर कोई भी टैक्स नहीं देना होगा अगर उस रीट कंपनी ने लोअर टैक्स रेजीम का ऑप्शन नहीं चुना है।
यह लोअर टैक्स रेजीम नया कंसेशनल कॉरपोरेट टैक्स रूल है जो सेक्शन 115 बीएए के अंतर्गत आता है और इसके अंदर मिलने वाले डिविडेंड्स आपके लिए टैक्स फ्री होते हैं।
b. वहीं अगर किसी रीट कंपनी ने लोअर टैक्स रेजीम के तहत कंसेशनल कॉरपोरेट टैक्स के लिए अप्लाई किया हुआ है तो फिर इस दशा में आपको डिविडेंड से होने वाली आय के ऊपर टैक्स देना होगा।
अगर आप किसी भी रीट कंपनी का प्रोस्पेक्टस पड़ेंगे तो वह लोग उसमें सीधे सीधे तौर पर बता देते हैं कि उन्होंने नए कंसेशनल कॉरपोरेट टैक्स रेजीम के लिए अप्लाई किया है कि नहीं जिससे कि आपका डिविडेंड आपके लिए टैक्स फ्री हो सके।
उदाहरण के लिए embassy office park और MindSpace REIT ने कंसेशनल कॉरपोरेट टैक्स रेजीम के लिए अप्लाई नहीं किया है इसलिए डिविडेंड से होने वाली आय आपके लिए पूरी तरह से टैक्स फ्री होगी।
3. Rental Income
उस रीट कंपनी ने जो भी प्रॉपर्टी लीज पर दे रखी है उसको किराए से होने वाली आय पर क्या REIT taxation होगा ।
देखिए कोई भी रीट जो भी रेंटल इनकम आपको बांटती है वह पूरी तरह से आपके टैक्स के हिसाब से टैक्सेबल होता है।
4. Other Income
ऊपर बताई गई इनकम के अलावा जो भी अन्य इनकम आपको रीट से मिलती है वह आपके लिए पूरी तरह से टैक्स फ्री होती है।
उदाहरण के लिए किसी रीट की सिस्टर कंपनी ने लोन का री पेमेंट किया तो जब भी वह इनकम आपको बांटी जाएगी तो वह आपके लिए पूरी तरह से टैक्स फ्री होगी।
जैसे Q1FY 22- 23 की बात करें तब एंबेसी ऑफिस पार्क ने इस तिमाही में 5.33 रुपए का कुल डिविडेंड दिया।
अब इसमें ₹0.65 इंटरेस्ट इनकम है जो पूरी तरह से टैक्सेबल है फिर ₹1.85 डेट रीपेमेंट है जो कि टैक्स फ्री है और ₹2.83 शुद्ध डिविडेंड के हैं जोकि टैक्स फ्री हैं क्योंकि एंबेसी ऑफिस पार्क ने नए कॉरपोरेट कंसेशनल टैक्स रेजीम के लिए अप्लाई नहीं किया है।
अब चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि रीट के कैपिटल गैंस पर आपको कितना टैक्स देना पड़ेगा।
2. REIT Taxation on Capital Gains
आप जानते हैं कि रीट शेयर मार्केट पर लिस्टेड है जिन की कीमतें समय के साथ साथ घटती बढ़ती रहती हैं।
मान लें आपने किसी रीट को ₹400 में खरीदा और उसे ₹450 होने पर बेचा तो आपका कैपिटल गेन हुआ ₹50 का।
अब आइए जानते हैं कि इस तरह के कैपिटल गैंस पर आपको किस तरह से टैक्स देना होगा।
1. Long Term capital Gains (LTCG)
अगर आपने किसी listed Reit को 3 साल तक होल्ड किया है और उसके बाद ही उसे बेचा है तो फिर आपको जो भी फायदा होगा उसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स कहा जाएगा।
अगर आपको लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन हुआ है और यह फायदा 1 साल में ₹100,000 से ऊपर का है तो फिर आपको 10% की दर से टैक्स देना होगा और इसमें बाद में कुछ सरचार्ज और सेस भी जुड़ेगा।
यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स के लिए आपको ₹100,000 तक की टैक्स छूट मिलती है और उसे ऊपर की इनकम पर ही टैक्स देना पड़ता है।
2. Short Term capital Gains (STCG)
अब मान लें कि आपने किसी रीट को 3 साल से कम समय में बेच दिया तो फिर आपको यहां पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स यानी एसटीसीजी लगेगा।
एसटीसीजी के केस में आपको फ्लैट 15% की दर से टैक्स देना होगा जिसमें कुछ सरचार्ज और सेस भी बाद में जुड़ेगा।
ध्यान दें, Reit taxation के यह फायदे आपको केवल लिस्टेड रीट में ही मिलेंगे यानि कि वह रीट जिन पर सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) जमा कर दिया गया हो।
और अंत में…
तो देखा आपने, रीट से होने वाली इनकम के काफी सारे भाग आपके लिए टैक्स फ्री होते हैं और वहीं इसके कैपिटल गेन का स्ट्रक्चर इक्विटी से मिलता जुलता है।
अगर आप भी इक्विटी और डेट के बीच में कहीं इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं तब REIT से बेहतर विकल्प आपके लिए शायद ही कोई हो |