REITs के Dividend में उतार चढ़ाव क्यों आता है?

आप ने REITs में इन्वेस्ट किया regular dividend income कमाने के लिए पर आपने पाया कि यह डिविडेंड किसी तिमाही में कम या फिर किसी में अधिक हो जाता है |

तो आपको क्या लगता है कि इस उतार चढ़ाव का आखिर कारण क्या है?

चलिए मान लेते हैं कि रीट का लाभांश हर तिमाही में एक जैसा या फिर अधिक आ रहा है तब तो हमें कोई परेशानी नहीं पर अगर यह कम हो रहा है तब यह वाकई चिंता का विषय है |

देखिये REIT में dividend के उतार चढ़ाव के कई कारण हो सकते हैं पर नीचे बताये गए कारणों में से पांचवा और छठवां आपके लिए जानना बहुत ही आवश्यक है |

तो अगर आप Real Estate Investment Trust के dividend fluctuations के बारे जानना चाहते हैं तब इस लेख को पूरा पढ़ें |

REITs Dividend किस प्रकार के देते हैं?

reits dividend

अब आप सबसे पहले तो ऊपर दिए गए office REITs के पिछले एक साल का डिविडेंड देखें !

क्या लगता है आपको इसे देखकर |

आप देख रहे होंगे कि Brookfield REIT के dividend में काफी उतार चढ़ाव है वहीँ पर Embassy Office Park में काफी कम है और Mindspace business park REIT में कांस्टेंट है |

अब आप हमें कमेंट कर के बताएं कि आपके हिसाब से इन तीनों में से किसनें बेहतर प्रदर्शन किया है |

यहाँ पर ध्यान दें कि भविष्य में यह डिविडेंड घट या बढ़ सकते हैं |

REITs के Dividend क्यों घटते बढ़ते रहते हैं?

YouTube player

 

आइये समझते हैं उन जरूरी कारणों को जिसकी वजह से REIT dividends में fluctuation होता रहता है |

1. प्रॉपर्टी से होने वाली कमाई में उतार चढ़ाव | Property Income Fluctuations

आप तो यह जानते ही होंगे कि SEBI के हिसाब से सभी REITs को अपनी कुल इनकम का 90% अपने निवेशकों को डिविडेंड के रूप में बांटना पड़ता है |

अब अगर किसी रीट ट्रस्ट की कुल कमाई ही कम होने लगे तब क्या हो |

तो यहीं पर आता है पहला कारण जो है कि अगर प्रॉपर्टी से होने वाली कमाई में उतार चढ़ाव हो रहा है तब डिविडेंड में भी उतार चढ़ाव होने की संभावना रहेगी |

पर कई बार ऐसा भी देखा गया है कि REIT के पास में अधिक जमा फण्ड भी होता है जिससे ये लोग डिविडेंड बाँट सकते हैं पर घटते हुए इनकम का असर तो पड़ता ही है |

तो अब आप पूछ सकते हैं कि रीट की कुल कमाई किस बात पर निर्भर करती है |

a) Occupancy Rate

Occupancy rate का मतलब होता है कि प्रॉपर्टी कितनी भरी हुई है |

देखिये REITs की मुख्य कमाई होती है Rental Income यानि अपने किरायेदारों से और अगर इनकी प्रॉपर्टी किसी कारण से खाली रह जाती है तब क्या होगा?

इसे ही कम Occupancy rate कहते हैं और इसी के कारण उस तिमाही में  रीट की कमाई घट जाएगी |

तो इस घटी हुई कमाई का असर डिविडेंड पर भी पड़ेगा |

b) Lease Renewals

यहाँ पर lease renewals का मतलब है कि उस प्रॉपर्टी का रिन्यूअल हुआ है या फिर नहीं |

मान लें, अगर किसी कारण से इन रीट के किरायेदारों ने अपना लीज रिन्यूअल नहीं करवाया और वह इन्हें छोड़कर किसी दूसरी प्रॉपर्टी के लिए चला गया तब |

वैसे इस तरह से हम लोग भी तो करते ही हैं ना, अगर कोई प्रॉपर्टी हमें पसंद नहीं आ रही है तब अगली बार उसे बदल लेते हैं, ठीक बिलकुल उसी तरह से |

इस lease renewal की प्रक्रिया को WALE यानि weighted average lease expiry से नापा जाता है और जो जितना अधिक हो उतना ही अच्छा माना जाता है |

इसलिए आपको हमेशा हर तिमाही में REIT के WALE पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि इससे भी इनकी कमाई प्रभावित होती है |

c) Rental Rate Fluctuations

कई बार बाजार की दशा बिगड़ने पर प्रॉपर्टी के दाम गिरने लगते हैं जिसका प्रभाव किराये पर पड़ता है |

अगर किराया घटता है तब इन REITs को कमाई घटेगी जिससे डिविडेंड भी कम होगा उस तिमाही में |

अगर आप रियल एस्टेट साईकल के बारे में जानना चाहते हैं कि कैसे प्रॉपर्टी के दाम घटते और बढ़ते हैं तो देखें यह वीडियो |

d) Market Condition

कई बार बाजार की दशा देखेते हुए अगर REIT ने अपने कुछ प्रोजेक्ट्स को अधूरा ही छोड़ दिया तब उससे किराया नहीं मिलता है जिससे उनकी कमाई कम हो जाती है |

2. संपत्ति की बिक्री और अधिग्रहण | Property Sales and Acquisitions

जब भी REITs की ऑक्युपेंसी रेट कम होने लगती है यानि जब प्रॉपर्टी खाली रहने लगती है तब अक्सर वो लोग इस तरीके का इस्तेमाल करते हैं जो है सेल्स और एक्विजिशंस।

इसका मतलब है की REIT रेंटल इनकम से तो कमाते ही हैं साथ ही साथ यह अपनी प्रॉपर्टीज को बेच करके और नई प्रॉपर्टी का अधिग्रहण भी करते रहते हैं।

रीट अपने portfolio optimization के समय low occupancy को देखते हैं और फिर उसे प्रॉपर्टी को बेच देते हैं।

अब इसका प्रभाव देखें

प्रॉपर्टी की मांग या ऑक्युपेंसी कम थी (उस समय जब बाजार की हालत अच्छी है) तब तो उससे कमाई कम होती थी अब उसे बेचने के बाद कोई नई प्रॉपर्टी बढ़िया लोकेशन में लेने से हो सकता है कि अगली तिमाही से रेंटल इनकम बढ़ जाए।

पर अगर किसी तिमाही में इन्होंने अधिक प्राइम प्रॉपर्टी खरीद ली तब कैश अवेलेबिलिटी कम हो जाएगी इसलिए हो सकता है डिविडेंड भी थोड़ा कम हो जाए, कुछ समय के लिए पर लंबे समय में इसका फायदा तो मिलता ही है।

अब जिस क्वार्टर में भी ऐसे ट्रांजैक्शन होते हैं उसे quarter में डिविडेंड ऊपर नीचे होता रहता है।

3. सेक्टर-विशिष्ट कारक | Sector-Specific Factors

अब अगला कारण REITs के डिविडेंड में उतार-चढ़ाव का है कुछ विशिष्ट कारण जो किसी ख़ास सेक्टर की वजह से हो सकते हैं |

इसका मतलब जैसे हम लोग रीट को ले तो उसमें अभी हाल फिलहाल में तीन ऑफिस और एक रिटेल रीट है।

हालांकि Retail REIT अभी लिस्ट हुआ है पर आप देखेंगे कि उसकी कमाई स्टेबल है और इसका परफॉर्मेंस भी बढ़िया है |

पर अगर आप ऑफिस वाले रीट को देखें तब आप पाएंगे कि इनमें आईटी वाली कंपनियां अधिक है और पिछले कुछ समय से आईटी बढ़िया परफॉर्म नहीं कर रहा है और इसलिए इसमें कॉस्ट कटिंग भी चालू है।

इससे होगा क्या की इन रीट की अधिकतम ऑक्युपेंसी नहीं होगी जिससे उनकी इनकम कम रहेगी ।

पर अभी कई Real estate investment trust आईटी पर अपनी निर्भरता को काफी कम कर रहे हैं और बाकी सेक्टर के किराएदार भी तलाश रहे हैं।

उदाहरण के लिए आप देखे की Embassy Office Park REIT काफी डायवर्सिफाइड है क्योंकि इसके पास में ऑफिस स्पेस के अलावा होटल और सोलर पावर प्लांट भी है।

4. परिचालन व्यय में परिवर्तन | Changes in operating expenses

अच्छा चलिए अब आप बताइए कि अगर आपके पास में कोई प्रॉपर्टी है तब आपका पैसा इसमें कहां खर्च होता है?

अब आप सोचेंगे कि भाई प्रॉपर्टी से तो मैं हर महीने रेंट ले ही रहा हूं तब खर्चा किधर होगा पर अगर रूटीन मेंटेनेंस,  टूट फूट और बाकी एडमिनिस्ट्रेटिव खर्चों को देखें तब यह खर्चा भी तो हमारा ही है।

अब मान ले किसी महीने में कुछ बड़ा खर्च हो गया मेंटेनेंस को लेकर के तब उस क्वार्टर की आपकी कमाई भी तो कम ही रहेगी।

ठीक यही चीज REITs के साथ भी होता है और कभी-कभी अचानक आने वाले ऐसे ही operating expenses बढ़ाने के कारण डिविडेंड पर प्रभाव पड़ता है।

5. कर्जे और ब्याज दरें | Debt Financing & Interest Rates

अब आता है सबसे जरूरी कारण जो डिविडेंड पर प्रभाव डाल सकता है वह है कि REIT trust ने कर्ज कितना लिया है और उस समय के इंटरेस्ट रेट कैसे चल रहे हैं।

देखिए यह काफी बड़ा फैक्टर है क्योंकि ऐसे तो रीट अपनी कमाई का कुल 90% निवेशकों में बांट देते हैं और उनके पास में CAPEX के लिए अधिक फंड नहीं रहता ।

इस दशा में वह अक्सर कर्ज लेते हैं और यही कर्ज अगर अधिक हो जाता है और उसे प्रॉपर्टी से रिटर्न नहीं मिलता तब कर्जों के भुगतान के बाद उनकी कुल इनकम भी घट जाती है इसलिए डिविडेंड पर भी काफी प्रभाव पड़ता है।

तो आप सभी रीट के तिमाही नतीजों में कर्जे के ऊपर जरूर निगाह बनाए रखें और यह भी देखें कि उसे डेट की मैच्योरिटी कब आ रही है।

फिर मान ले कि जैसे इंटरेस्ट रेट बढ़ रहे हैं तब इन्हें लोन भी महंगा मिलेगा जिससे उनके कुल कमी पर असर पड़ेगा।

साथ ही साथ अगर ब्याज दरें अधिक है तब सभी फिक्स्ड डेट इंस्ट्रूमेंट्स पर इंटरेस्ट रेट भी बढ़ जाएगा।

इससे होगा क्या कि बड़े-बड़े इन्वेस्टर रीट को छोड़कर के बाकी फिक्स्ड डेट इंस्ट्रूमेंट्स में शिफ्ट होने लगेंगे जिसके कारण इन्हें स्टॉक मार्केट से भी कम पैसा मिलेगा जिसका प्रभाव डिविडेंड इनकम पर आएगा।

6. प्रबंधन का निर्णय और लाभांश  की नीति | Management Decision & Dividend Policy

उसके बाद एक और कारण है कि अभी कंपनी का निर्णय क्या है?

एक बड़ी बात बताता हूं कि वैसे तो यह लोग 90% वाला डिविडेंड रूल फॉलो करते हैं पर कुछ हद तक इसमें भी थोड़ी ढील दी गई है।

इसका मतलब मैनेजमेंट अगर चाहे तब कुछ समय के लिए डिविडेंड अमाउंट को थोड़ा defer कर सकता है यानि आगे बढ़ा सकता है।

कहना यह है कि कंपनी अगर चाहे तब वह इस तिमाही में डिविडेंड को कम करके अपने उपयोग में ले आए फिर आगे के तिमाही में इस डिविडेंड को बढ़ा दे जिससे सालाना डिविडेंड कांस्टेंट ही रहे।

कई बार डिविडेंड की बलि देकर भी REITs अपने लॉन्ग टर्म कैपेक्स और ग्रोथ पर ध्यान देती है।

REITs कब Buy या Average करें?

अब चलिए रीट में dividend से regular income तो है यह समझ में आ गया पर इनमें नई खरीदी कब करनी है या अगर हमारे पास पहले से है तब इन्हें एवरेज कब करना है।

देखिए यहां पर सिंपल फंडा है कि अगर आपको real estate investment trust में लॉन्ग टर्म इन्वेस्ट करना है और आपको उसे पर बढ़िया विश्वास है कि आगे जा करके वह रिकवर हो जाएगा तब बेशक आप एवरेज कर सकते हैं।

पर ध्यान दें कि अगर कुछ समय के लिए दाम और नीचे जाता है तब घबराएं नहीं और थोड़ा-थोड़ा करके एवरेज करते रहे।

अब अगर आप REIT में नया इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं तब कुछ बातों का ध्यान रखें।

आप REIT investing करने से पहले उसके फंडामेंटल पर जरूर ध्यान दें जैसे Occupancy rate, lease expiry date, property location और भी बहुत कुछ जो हमने अपने पुराने पोस्ट में बताया है।

फिर market conditions पर ध्यान दें की रियल स्टेट के लिए अभी कैसा समय चल रहा है, आप देखे की प्रॉपर्टी की डिमांड, जॉब ग्रोथ और इंटरेस्ट रेट की कंडीशन क्या है।

फिर आप उसे REIT की डिविडेंड हिस्ट्री को देखें क्योंकि कमाई का मुख्य जरिया तो डिविडेंड ही है।

अब सबसे जरूरी बात जो किसी भी REIT investor को समझना होगा कि उसके investment goal क्या है और वह जोखिम कितना ले सकता है|

देखा-देखी इन्वेस्ट ना करें कि चलो टीवी में तो बताया है की रीट बढ़िया है और बिलकुल सेफ भी है तब इसमें इन्वेस्ट कर लो।

नहीं!  ऐसे तो आप इसमें फंस जाएंगे

उसके बाद आप सोचें कि आपका मुख्य उद्देश्य क्या है capital appreciation या Regular dividend income.

तो इन सब बातों को ध्यान में रख कर के आप भी REITs में invest कर सकते हैं |

शेयर करें!

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

आप इस पेज की सामग्री को कॉपी नहीं कर सकते!

Scroll to Top