क्या आप जानते हैं कि REIT की मदद से आप बिना कोई physical property खरीदे ही real estate market में invest कर सकते हैं?
तो इस शब्द को सुनते ही सबसे पहले आपके मन में आता होगा कि आखिर ये रीट क्या होता है और कैसे काम करता है?
तो आइये इस लेख में समझें REITs की पूरी कार्यप्रणाली और वह भी बहुत ही आसान भाषा में |
REIT क्या होता है | Full Form
REIT Full Form – Real Estate Investment Trust
REITs यानि रियल एस्टेट इनवेस्टमेंट ट्रस्ट एक प्रकार का फंड या कंपनी होती है जो निवेशकों से पैसा जुटाकर अलग-अलग रियल एस्टेट प्रोपर्टीज में निवेश करती है।
बाद में जब प्रॉपर्टी का भाव बढ़ जाता है तो उन्हें बेचकर आए पैसों को या उनसे आए रेंटल इनकम (किराया) को निवेशकों में बाँट देती है।
ये केवल income generating (आय पैदा करने वाले) real estate properties और assets को ही own, operate और finance करती है जो काफी बड़ा पॉजिटिव है |
अगर प्रॉपर्टी की बात की जाये तब इनके पोर्टफोलियो में आवासीय अपार्टमेंट, व्यावसायिक इमारतें, शॉपिंग सेंटर, मॉल, गोदाम, होटल और कार्यालय ब्लॉक जैसी विविध प्रकार की संपत्तियां शामिल होती हैं।
REITs को एक प्रकार से म्यूच्यूअल फंड्स की तरह ही देखा जा सकता है लेकिन इनमें कुछ महत्वपूर्ण अंतर भी हैं।
सबसे बड़ा अंतर यह है कि जहाँ म्यूच्यूअल फंड्स अपना पैसा शेयरों, बॉन्ड्स और अन्य प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं, जबकि रीट अपना सारा पैसा सिर्फ और सिर्फ रियल एस्टेट में ही निवेश करते हैं।
यहाँ पर ध्यान देना आवश्यक है कि REIT स्टॉक एक्सचेंज (NSE और BSE) पर ट्रेड होते हैं और इसलिए आप उन्हें एक आम शेयर के जैसे खरीद सकते हैं |
India में कितने Listed REITs हैं?
अभी बाजार में चार लिस्टेड रीट हैं जो स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड हो रहे हैं |
Listed REITs in India | |
REIT Name | Type of REIT |
Embassy Office Parks | Office Space |
Mindspace Business Parks | Office Space |
Brookfield India Real Estate Trust | Office Space |
Nexus Select Trust | Retail |
Real Estate Investment Trust कैसे काम करते हैं?
REIT स्पांसर एक कंपनी या ट्रस्ट बनाते हैं जिसे रियल एस्टेट इनवेस्टमेंट ट्रस्ट का नाम दिया जाता है और फिर निवेशकों से पैसा जुटाने के लिए आईपीओ पेश किया जाता है |
अब निवेशकों से जुटाए गए पैसे को यह ट्रस्ट अलग-अलग रियल एस्टेट प्रोपर्टीज में निवेश करता है जो पहले से पूरे रहते हैं (अंडर कंस्ट्रक्शन नहीं) और कमाई करते रहते हैं |
फिर इन प्रॉपर्टीज से मिलने वाले रेंटल इनकम और इनकी बिक्री से होने वाले मुनाफे को निवेशकों में बांटता है।
यह पूरा काम एक प्रोफेशनल मैनेजमेंट के द्वारा किया जाता है और इसमें SEBI की monitoring और regulation भी रहती है इसलिए ये निवेश का काफी बढ़िया विकल्प है |
REITs के लिए SEBI का नियम क्या है?
भारत में REITs के लिए SEBI (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) के द्वारा कुछ नियम बनाए गए हैं।
इन नियमों के अनुसार इन्हें निम्नलिखित जरूरी आवश्यकताओं को पूरा करना होता है:
1. REIT का नाम “Real Estate Investment Trust” या “REIT” होना चाहिए।
2. इनका पंजीकृत कार्यालय भारत में होना चाहिए।
3. इनका प्रबंधन एक निवेश प्रबंधक (Fund Manager) द्वारा किया जाना चाहिए जो SEBI द्वारा पंजीकृत हो।
4. रीट के यूनिट्स को एक्सचेंज में लिस्टेड होना चाहिए।
5. इसका सार्वजनिक स्वामित्व (public shareholding) न्यूनतम 25% होना चाहिए |
5. REIT को साल में होने वाले रेंटल इनकम और प्रॉपर्टी की बिक्री से होने वाले मुनाफे का कम से कम 90% अपने निवेशकों को डिविडेंड के माध्यम से भुगतान करना चाहिए।
6. एक REIT को अपनी कुल प्रॉपर्टीज का कम से कम 80% पूरी और आय-उत्पादक संपत्तियों (income generating assets) में निवेश करना ही पड़ता है और बाकी का 20% वह stocks, bonds, cash, या under-construction commercial property में रख सकते हैं |
7. निवेशक हितों की रक्षा और financial stability के लिए REITs को उधार (Debt) लेने की कुछ सीमायें भी निर्धारित की गयी हैं |
इन नियमों के अलावा, SEBI समय-समय पर REITs operation को control करने के लिए नए नए दिशानिर्देश भी जारी करता है।
रीट से रेगुलर इनकम कैसे कमाए?
REITs उन निवेशकों के लिए एक अच्छा विकल्प हैं जो रियल एस्टेट में निवेश करना तो चाहते हैं लेकिन उनके पास बड़ी पूंजी नहीं है।
अगर आप रीट की मदद से रेगुलर इनकम कमाना चाहते हैं तब आपको इनकी यूनिट्स को शेयर बाजार से खरीदना होगा।
REITs अपने यूनिटहोल्डर्स को साल में कम से कम 90% रेंटल इनकम और प्रोपर्टी की बिक्री से होने वाले मुनाफे का भुगतान करते हैं।
ये भुगतान डिविडेंड के माध्यम से किया जाता है जो साल में चार बार मिलता है |
आमतौर पर REIT Dividends : 6-9% सालाना तक हो सकते हैं जो किसी FD से अधिक होता है |
आप ऊपर दी गयी विडियो देखें और समझें कि रीट डिविडेंड कैसे देते हैं |
REIT Investing के फायदे
REITs के निम्नलिखित फायदे हैं:
1. इसमें निवेश करने के लिए बड़ी पूंजी की आवश्यकता नहीं होती है।
2. REIT Investing में डिविडेंड के माध्यम से रेगुलर इनकम मिलती रहती है।
3. रीट में निवेश करना आम शेयर की अपेक्षा सुरक्षित माना जाता है।
4. जिस प्रकार रियल एस्टेट को आप जब चाहे तब बेच नहीं सकते यानि तरलता (liquidity) की कमी रहती है पर REIT में ऐसा नहीं होता क्योंकि यह स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड होते हैं और आप इन्हें कभी भी खरीद बेच सकते हैं |
5. पोर्टफोलियो को diversify करने का यह बढ़िया विकल्प है |
6. रीट का मैनेजमेंट प्रोफेशनल फण्ड मेनेजर द्वारा किया जाता है इसलिए आम निवेशकों को रियल एस्टेट प्रॉपर्टी को मैनेज नहीं करना होता है और इसलिए उनपर बोझ भी नहीं पड़ता है |
REIT Investing के नुकसान
REITs के निम्नलिखित नुकसान हैं:
1. रीट की कीमतें शेयर बाजार की उतार-चढ़ाव से प्रभावित होती हैं।
2. REITs से मिलने वाली आय कर योग्य होती है।
3. यह घटते और बढ़ते हुए ब्याज दरों से काफी प्रभावित रहता है | आम तौर पर जब भी ब्याज दरें बढती हैं तब रीट की मांग घटने लगती है |
4. REIT Price आम शेयर के जैसा तेजी से नहीं बढ़ता है |
5. निवेशों का प्रॉपर्टी के ऊपर कोई भी कण्ट्रोल नहीं होता है |
निष्कर्ष
REITs उन निवेशकों के लिए एक अच्छा विकल्प हैं जो रियल एस्टेट में निवेश करना चाहते हैं, लेकिन उनके पास बड़ी पूंजी नहीं है।
रीट से रेगुलर इनकम मिलती है और इन्हें सुरक्षित भी माना जाता है।
हालांकि अगर आप रीट में निवेश करने की सोच रहे हैं तब इसकी विशेषताओं और जोखिमों को समझना जरूरी होगा |
हमने अपने Youtube Channel पर पूरी REIT Playlist बना रखी है जिसे आपको जा कर जरूर देखना चाहिए |
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