म्यूचुअल फंड में एक्सपेंस रेश्यो क्या होता है | Expense Ratio in Hindi

Expense Ratio किसी mutual fund के द्वारा लगाए जाने वाला एनुअल मेंटेनेंस चार्ज होता है जो वह किसी स्कीम को मैनेज करने के लिए सालाना चार्ज करते हैं।

क्या हो अगर 10 साल तक किसी म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर आपको पता चले कि मेरे फंड का एक्सपेंस रेश्यो किसी और म्यूचुअल फंड से 0.5% अधिक है तब आपका रिएक्शन क्या होगा ।

अब आप यह सोचकर पछताने के सिवा कुछ नहीं कर सकते हैं कि इन 10 सालों में आपने लाखों रुपए केवल फीस के तौर पर ही म्यूचुअल फंड कंपनी को दे दिए है ।

अब जैसे मान लें आपने किसी म्यूचुअल फंड में ₹10,00,000 इन्वेस्ट किए हैं और अगर उसका एक्सपेंस रेशियो 1.5% है तब आपको सालाना ₹15000 म्यूच्यूअल फंड को देने होंगे l

आज के इस लेख में हम बात करेंगे कि mutual fund expense ratio और Base Total Expense ratio (TER) क्या होता है और इसका calculation कैसे किया जाता है?

हम लोग यह भी बात करेंगे कि म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय आप कैसे इन एक्स्ट्रा चार्जेज़ को काफी हद तक बचा सकते हैं।

म्यूचुअल फंड में एक्सपेंस रेश्यो क्या होता है | What is Expense Ratio in Mutual Funds in Hindi

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Expense Ratio का Hindi Meaning होता है खर्चे की दर |

आपको तो पता ही है कि किसी भी सर्विस का लाभ लेने पर कुछ चार्ज देना पड़ता है और इसलिए यहां पर म्यूच्यूअल फंड भी बाकियों से अलग नहीं है।

म्यूचुअल फंड कंपनियां आपके पैसों को मैनेज करने और बेहतरीन सेवाओं के लिए फीस वसूलते हैं जो कई सारे एक्सपेंसेस यानी खर्चों से मिलकर के बना होता है और इसे मिलाकर Total Expense Ratio यानी TER कहा जाता है

एक्सपेंस रेश्यो को एक तरह का एनुअल मेंटेनेंस चार्ज भी कह सकते हैं जो हर म्यूचुअल फंड स्कीम में अलग अलग हो सकता है और इस पर ध्यान देना बहुत ही आवश्यक है।

एक्सपेंस रेश्यो की गणना | How to Calculate Expense Ratio in Mutual Fund?

Total expense ratio calculate करने के लिए इस formula पर ध्यान दें :-

TER = Total Expense/ Total asset

इसका मतलब यह हुआ कि कुल खर्चों को जब हम लोग कुल संपत्ति यानि ऐसेट से भाग देंगे तब हमें टोटल एक्सपेंस रेश्यो मिलेगा जो कि प्रतिशत में होता है।

जैसे मान ले कोई म्यूच्यूअल फंड करीब 100 करोड़ का फंड मैनेज करता है यानी उसका AUM यानि असेट्स अंडर मैनेजमेंट हुआ 100 करोड़।

अब सब खर्चों को मिलाकर उसका कुल खर्चा होता है मान लें 2 करोड़ तब

TER = 2/100=.02=2%

यह TER फंड के एवरेज NAV में ही एडजेस्ट कर लिया जाता है और जो भी daily NAV हम लोग देखते हैं वह कुल expenses के घटाने के बाद ही रिलीज किया जाता है।

इसलिए आपको इन खर्चों के कटने का पता ही नहीं चल पाता है।

एक्सपेंस रेश्यो को कैसे काटा जाता है | Expense Ratio Deduction Calculation

अधिकतर लोग जो पहली बार म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करते हैं उन्हें लगता है कि यहां तो सब कुछ फ्री है।

मतलब अगर आप ₹1000 प्रतिमाह इन्वेस्ट कर रहे हैं तो सब स्टेटमेंट में यही दिखेगा कि आपका पूरा पैसा लगा दिया गया है।

तो इसका मतलब क्या है यह जो एक्सपेंस रेश्यो की बात की जा रही है वह म्युचुअल फंड कंपनियां कहां से काटती है।

तो आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि यह टोटल एक्सपेंस रेश्यो को फंड की एनएवी से कुछ ऐसे काटा जाता है कि इन्वेस्टर्स को पता ही नहीं चल पाता है कि मेरे भी कुछ पैसा कटा है।

चलिए इसे एक उदहारण से समझें

मान लें किसी AMC ने 2% का TER चार्ज किया सालाना आपके द्वारा इन्वेस्टेड ₹100,000 पर

तब आपके हिसाब से यह म्यूच्यूअल फंड कैसे चार्ज करेगा?

जी नहीं, यह आपसे तुरंत नहीं लेगा ना ही महीने, तिमाही या सालाना लेगा बल्कि यह तो आपसे डेली बेसिस पर चार्ज करता रहेगा|

क्यों चौक गए ना!!

मान लें एक लाख का दो पर्सेंट हुआ ₹2000 जो एक म्यूच्यूअल फंड आपसे सालाना चार्ज करने वाला है। यह हुआ

=2000/365 = ₹5.48 प्रतिदिन का चार्ज किया जाएगा जब तक आप उस फंड में बने रहेंगे।

अब जानिए इस इसे चार्ज कैसे किया जाता है

मान लें आपके fund की NAV है ₹20 तो आपके पास कुल यूनिट कितनी हुई

100000/20=5000 यूनिट

अब मान लें जब आपने इन्वेस्ट किया उसके अगले दिन यह फंड एक परसेंट बढ़ गया अब इस दशा में नया NAV क्या हुआ

20*(1+1%) =20*1.01=20.2

ध्यान दें इस NAV को आपको बताया नहीं जाएगा क्योंकि यह केवल बैक एंड कैलकुलेशन के लिए ही है|

अब इससे NAV पर आपका कुल इन्वेस्टमेंट बना

20.2*5000 = ₹101000

पर यहां पर जो एएमसी फीस है वह अभी है  ₹5.48 प्रतिदिन तो यह फीस म्युचुअल फंड काट लेगा

101000 – 5.48 = ₹100994.52

अब आइए जानते हैं क्या होगा वह नया NAV जो म्यूच्यूअल फंड कंपनी डिक्लेअर करेगी|

100994.52/5000 = 20.19

अब यहां ध्यान दें TER को काटने के बाद NAV डिक्लेअर किया गया 20.19 ना कि 20.2 |

अभी देखने में तो यह पॉइंट्स में लग रहा है पर धीरे-धीरे करके यह बहुत बड़ी रकम हो जाती है।

तो यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि जो भी NAV दिखाया जाता है वह टोटल एक्सपेंस रेश्यो को घटाने के बाद ही दिखाया जाता है और यह घटाना डेली बेसिस पर होता है

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टोटल एक्सपेंस रेश्यो में क्या-क्या खर्चे आते हैं | TER Components in Mutual Fund

अब आइए जानते हैं यह expense ratio किस किस टाइप के खर्चों से मिलकर के बना होता है

Management fees

आपके म्यूच्यूअल फंड का परफॉर्मेंस कौन ट्रैक करता है और इसके लिए कौन जिम्मेदार होता है?

जी हां, आपने सही पहचाना वह है म्यूचुअल फंड मैनेजर।

आपके म्यूचुअल फंड का रिटर्न फंड मैनेजर की काबिलियत पर ही निर्भर करता है और इसलिए वह अपनी इसी स्पेशल सर्विस के लिए फीस चार्ज करता है।

तो मैनेजमेंट फीस वह फीस है जो mutual fund कंपनियां एक फंड मैनेजर को देती हैं, यह फीस ही सबसे अधिक होती है।

Distribution Fees

कई बार आपने देखा होगा कि कोई इन्वेस्टमेंट एजेंट आपको म्यूच्यूअल फंड की सलाह दे रहा है और आप उस के माध्यम से फंड में इन्वेस्ट करते हैं ।

तो इस एजेंट को AMC की तरफ से कमीशन मिलता है जिसे हमारे इन्वेस्टमेंट में से ही काट लिया जाता है।

इसी फीस को डिस्ट्रीब्यूशन फीस कहते हैं।

Administrative Fees

एडमिनिस्ट्रेशन यानी फंड मैनेज करने के लिए काफी सारे तंत्र आते हैं जहां अलग-अलग प्रकार की फीस देनी पड़ती है |

यह होते हैं रजिस्ट्रार फीस, ब्रोकरेज फीस, ट्रांसफर एजेंट फीस, कस्टोडियन चार्ज, लीगल फीस, ऑडिट फीस, मार्केटिंग और एडवरटाइजिंग चार्ज, बिजली का बिल, फोन का बिल, बिल्डिंग का रेंट इत्यादि और जीएसटी|

तो इस तरह से देखा जाए तो हम लोग सभी तरह का खर्चा भले ही वह थोड़े ही मात्रा में क्यों ना हो एक म्यूचुअल फंड कंपनी को दे देते हैं ।

लेकिन यहां आप पूछ सकते हैं कि क्या एक म्यूचुअल फंड जो फीस चार्ज करता है उसकी कोई लिमिट भी है या फिर यह मनमाना कुछ भी चार्ज कर सकते हैं।

तो इसका जवाब है कि हां SEBI यानी सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया ने इसके लिए भी नियम बनाया है जिसके बारे में हम अब बात करेंगे।

देखना न भूलें!

टोटल एक्सपेंस रेश्यो काटने पर सेबी की लिमिट क्या है | SEBI Base TER Limit

what is expense ratio in mutual funds
Credit : AMFI India

1 अप्रैल 2020 के बाद से म्यूचुअल फंड के Base TER में कुछ बदलाव किए गए और इसे 0.25% कम कर दिया गया क्योंकि काफी बढ़िया कदम था |

इस टेबल के हिसाब से आप देख सकते हैं कि अगर कोई म्यूच्यूअल फंड का एयूएम 500 करोड़ तक है तब वह इक्विटी फंड्स के लिए अधिकतम 2.25% और डेट फंड के लिए 2% चार्ज कर सकता है|

इसी तरह से आप देख सकते हैं कि जैसे-जैसे म्यूच्यूअल फंड का एयूएम बढ़ता जाता है वैसे वैसे अलग-अलग स्लैब पर Maximum Total Expense Ratio कम होता जाता है।

AMC लगातार TER क्यों बदलते रहते हैं?

अक्सर लोग यह सवाल पूछते हैं कि हमेशा यह म्यूच्यूअल फंड वाले टोटल एक्सपेंस रेश्यो क्यों बदलते रहते हैं।

आपने देखा होगा कि यह लोग हमेशा ईमेल भेजकर भी यह बताते रहते हैं जैसे नीचे दिया हुआ मेरे ईमेल का स्क्रीनशॉट देखें:- 

एक्सपेंस रेश्यो

तो यह म्यूच्यूअल फंड सेबी के नियमों का पालन करने के लिए ही अपना base TER बदलते रहते हैं जब जब उनके फंड का साइज बढ़ता रहता है

मैंने आपको ऊपर टेबल में दिखाया था कि पहले ₹500 करोड़ का एयूएम के लिए अधिकतम 2.25% ter होता है, वहीँ अगले 250 करोड़ के लिए 2% और उसके बाद अगले ₹1250 करोड़ के लिए 1.75% हो जाता है

इसका मतलब यह है कि जैसे जैसे AUM बढ़ता है वैसे वैसे Base Total Expense Ratio कम होता जाता है, सेबी की गाइडलाइन के हिसाब से |

तो इस हिसाब से अगर किसी इक्विटी म्युचुअल फंड का एयूएम ₹50000 करोड़ है तब वह अधिकतम 1.05% ही एक्सपेंस रेश्यो चार्ज कर सकता है

वैसे सेबी के नियम के अलावा भी कंपनियां समय-समय पर अपने एक्सपेंसेस में बदलाव करती रहती हैं और मार्केट में बने रहने के लिए इसे अधिक या कम करती रहती हैं।

इस हिसाब से देखा जाए तो हर दिन जैसे-जैसे मार्केट चेंज होता है वैसे वैसे एयूएम भी बदलता रहता है।

पर डेली का TER बदलना संभव नहीं है इसलिए इसे मंथली या क्वार्टरली बदला जाता है।

और तभी आपको अक्सर ही base TER बदलने का नोटिफिकेशन आता रहता है।

एक बात और है कि इस maximum TER के ऊपर भी कुछ अतिरिक्त चार्ज होते हैं जो म्यूच्यूअल फंड कंपनियां ले सकती हैं |

जैसे टॉप 30 सिटीज के अलावा अगर कोई और शहर में वह म्यूच्यूअल फंड अपनी सर्विस दे रहा है तब उसके लिए वह एक्स्ट्रा 0.3% परसेंट चार्ज कर सकता है|

एक दूसरा कारण है कि म्यूचुअल फंड कंपनियां अक्सर ही TER को क्यों बढ़ाती रहती हैं क्योंकि शुरुआत में वह अधिक इन्वेस्टमेंट पाने के लिए अपना एक्सपेंस रेशियो कम दिखाती हैं पर जैसे-जैसे उसमें इनवेस्टमेंट आने लगता है तब वह सेबी के रूम के भीतर रहकर अपने चार्जेज़ को अधिकतम तक ले जाती हैं।

अब आप सीधे-सीधे यह टोटल एक्सपेंस रेश्यो बढ़ने के बाद अगर आपने फंड को बेच देंगे तब आपको एग्जिट लोड भी देना होगा जो अलग से एक से दो परसेंट तक होता है।

अगर किसी फंड का Expense Ratio अधिक है तो क्या उस में निवेश करना चाहिए?

अब बात आती है कि अगर किसी म्यूच्यूअल फंड का एक्सपेंस रेश्यो अधिक है तब क्या हमें उसमें इन्वेस्टमेंट करना चाहिए कि नहीं।

देखिए इसका जवाब है हां भी और नहीं भी

मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि कुछ ऐसे बेहतरीन एक्टिवली मैनेज फंड है जो सालाना 15% से अधिक रिटर्न्स देते हैं पर उनका expense ratio भी थोड़ा अधिक ही है।

वहीं कुछ ऐसे फंड भी हैं जिनका एक्सपेंस रेश्यो कम है पर वह रिटर्न महज 10 से 12% का ही देते हैं।

अगर आपको इस दशा में एक परसेंट एक्स्ट्रा एक्सपेंस देना पड़े तब भी आपको पहले वाले फंड के साथ ही जाना चाहिए क्योंकि वहां अभी भी आपको अधिक रिटर्न मिल रहा हैं।

तो यह एक प्रकार से एक ट्रेडऑफ है और अब आपको करना क्या है –

  •  बढ़िया रिसर्च करनी है |
  • म्यूच्यूअल फंड का पिछला ट्रेक रिकॉर्ड चेक करना है |
  • उसका पिछला परफारमेंस और कंसिस्टेंसी देखनी है |
  • फंड मैनेजर का एक्सपीरियंस देखना है |
  • पता करना है कि फंड का डाउनसाइड प्रोटेक्शन कितना है |

और अगर यह सब बढ़िया है तब आप बेशक थोड़ा अधिक चार्ज दे सकते हैं।

मेरे हिसाब से आप काफी पैसा बचा सकते हैं इन एक्सपेंसेस से रिलेटेड अगर आपने रेगुलर की बजाए डायरेक्ट म्युचुअल फंड में निवेश किया तब।

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